हमने वीराने को गुलज़ार बना रखा है
क्या बुरा है जो हकीक़त को छुपा रखा है
दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?
वो तो खुदगर्जी है ,लालच है, हवस है जिसका
नाम इस दौर के इन्सां ने वफ़ा रखा है
मैं तो मुश्ताक़ हूँ आंधी में भी उड़ने के लिए
मैंने ये शौक़ अजब दिल को लगा रखा है
मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
ये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है
अपने हाथों की लकीरों में हिना की सूरत
सिर्फ इक नाम तुम्हारा ही सजा रखा है
मैं के औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर
बस तख्खल्लुस इसी बाईस तो 'हया' रखा है !
मुश्ताक़ =उत्सुक
तखल्लुस =उपनाम
बाईस =कारण
वाह क्या खूब लिखा है !
ReplyDeleteअंत में शब्दों के अर्थ देकर आपने बहुत बढिया किया है |
धन्यवाद |
दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
ReplyDeleteआज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?
हया जी - क्या कहूँ? मुग्ध हो गया पढ़कर। हरएक शेर लाजबाब है। बहुत कमाल की लिखतीं हैं आप। मेरी शुभकामना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
मैं तो मुश्ताक़ हूँ आंधी में भी उड़ने के लिए
ReplyDeleteमैंने ये शौक़ अजब दिल को लगा रखा है
मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
ये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है
waah lajawab,har sher masha allah khubsurat khazana.
हया जी!!!!
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत ही अच्छे लगे है।
सुन्दर शेर।
आभार/शुभकामनाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
बहुत ख़ूब
ReplyDeletebahut bahut sundar .........yah baat to HYA bana rakha hai .....atisundar
ReplyDeleteवाह वाह ......क्या बात है !
ReplyDeleteबहुत खूब शेर कहे हैं आपने !
आत्म विश्वास छलकता है आपकी रचनाओं से !
मैं के औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर
ReplyDeleteबस तख्खल्लुस इसी बाईस तो 'हया' रखा है !
-वाह!! बहुत उम्दा गज़ल कही है.
मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
ReplyDeleteये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है
bahut hee sundar....
बहुत खूबसूरत !!
ReplyDelete...आपको सुनना भी बहुत सुखद है.
ReplyDeleteक्या कहूँ
ReplyDeleteहर शेर एक से बढ़कर एक
जिन्हें बार-बार पढ़ने का दिल करता है !
दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?
वो तो खुदगर्जी है ,लालच है, हवस है जिसका
नाम इस दौर के इन्सां ने वफ़ा रखा है
छा गयीं मैडम ... आप महफिल में छा गयीं !
आज की आवाज
आपका नाम सुनकर
ReplyDeleteमन में लग रहा था कि कहीं सुना है !
अभी जब आपके ब्लॉग पर
ठीक से निगाह डाली तो वीडियो नजर आया !
बस तुंरत याद आ गया !
आप भी ब्लॉग की दुनिया में हैं
बड़ी ख़ुशी हुयी !
अरे हम ठहरे मुशायरे के शौकीन !
हम जैसों के ही दम से मुशायरे कामयाब होते हैं
हार्दिक शुभकामनायें
हिन्दी ब्लाग्स की दुनिया में आपका स्वागत है. पड कर अच्छा लगा, इस प्रयास के लिये आप को बधाई, बस इसी तरह लिखते रहिये, और हम पड्ते रहेंगे.
ReplyDeleteचारुल शुक्ल
मेरे लेखो के लिये आइये
http://dilli6in.blogspot.com
bahut khoob. jaari rakheyn..............
ReplyDeleteवाह क्या खूब लिखा है !
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeletevenus kesari
मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
ReplyDeleteये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है
bahut sunder andaz. khoobsurat rachana
कितने सलीके से सारी बात कह दी आपने। बेहतरीन गजलों में शुमार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।आपके भाव दिल में उतर गए। बहुत अच्छा लिखा है बधाई।
ReplyDeleteसीखना है
ReplyDeleteसहन करना तो
सीखो
धरती से
या फ़िर औरत से
जरूरी नहीं
कि वो हो
तुम्हारी मां,बहन,बेटी ही
हो सकती है वह
तुम्हारी पत्नी भी
औरत को समझने के लिये; मेरे कविता संग्रह की एक कविता
मेरे ब्लोग्स http://gazalkbahane.blogspot.com/
and
http://katha-kavita.blogspot.com
बहुत ही सुंदर रचना बेहतरीन प्रस्तुति आभार !
ReplyDeleteno comment.narayan narayan
ReplyDeleteहया जी............
ReplyDeleteवाकई में कबीले तारीफ नज्म रची है आपने.............
दिल से बस वाह-वाह के कुछ निकालता ही नही है.......
हया जी आदाब
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका इस्तेकबाल है खैरमकदम है स्वागत है ..बहुत दिनों से आपकी नज्म और गीत यू ट्यूब से डाऊनलोड करके सुनता आ रहा हूँ. मेरे मोबाईल में आपका कलाम हमेशा मौजूद रहता है...
यहाँ पर राम बसता है, यहाँ रहमान बसता है...
यहाँ हर जात का, हर कौम का, इन्सान बसता है...
जो हिन्दू हो तो क्या, तुम्ही फकत हिन्दुस्तानी हो...
यंहा हर एक मुस्लिम दिल में, हिंदुस्तान बसता है....
ये शब्द हमेशा दिल में गूंजते रहते है....
आपको कभी वक्त मिले तो इस ब्लॉग पर आइयेगा....
http://balsajag.blogspot.com
haya ji ,
ReplyDeletenamaskar..
aaj aapki gazale padhkar man bahut khush ho gaya ,,kuch sher aise hai jinhone bahut gahre jaakr apni upastithi darz karwaayi .. main aapko badhai deta hoon ..
dhanywad.
poemsofvijay.blogspot.com par aayiye aur meri kavitayen padhiyenga..
क्या खज़ाना मिल गया यहाँ आके ..! ऐसे ज़ेवरात ,जिन्हें तिजोरी की ज़रूरत नही ...! लुटाये चलो , इनमे इजाफा होता रहेगा.. ...इसके अलावा क्या कहूँ ?
ReplyDeleteरश्क हुआ आपकी रचनाएँ पढ़के...लगा,काश! मैभी ऐसा लिख पाती...!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://paridhaan-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://dharohar-thelightbyalonelypath.blogspot.com
Apne 'kavita' blog kee to URL yahan nahee likhne waalee...
dil jeet liya apne. khud ko achcha express kiya hai. gazal ke madhyam se. bhai waah... waah...
ReplyDeleteक्या कहूँ.......हरेक शेर ने अपने में ऐसे रमा लिया की उनके सौन्दर्य और रस से निकलकर आगे बढ़ना मुश्किल हो गया था.....कमाल का लिखती हैं आप.........बहुत बहुत लाजवाब !!!
ReplyDeleteलता जी....आज जहाँ नग्नता को प्रगतिशीलता का पर्याय प्रगतिवादी स्त्रियाँ मानने लगीं हैं...आपकी सोच ने कितना सुख दिया बता नहीं सकती.....
माँ सरस्वती आप पर सदा सहाय रहें....शुभकामनायें...
पिंकी इस देश की बेटी हैं जिसे कुछ दरिंदो ने इस हालात में पहुचा दिया हैं जहां से बाहर निकलने में आप सबों के प्यार और स्नेह की जरुरत हैं।
ReplyDeleteLata ji...... aapki gazle nazme sabhi bahut hi achchi hai...saath hi aapka presentation bhi laajawaab hain
ReplyDeleteहिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |
ReplyDeleteहमने वीराने को गुलज़ार बना रखा है
ReplyDeleteक्या बुरा है जो हकीक़त को छुपा रखा है
दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?....
उम्दा और सुंदर.
waaqai mein bahut achcha likha hai aapne......
ReplyDeletesharm hi aurat ka zevar hai.....
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
ReplyDeleteये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है
मैं के औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर
बस तख्खल्लुस इसी बाईस तो 'हया' रखा है !
ye do sher alag se daad maang rahe the...
khas taur pe upar wale ki 'Innocentness' dekhte hi banti hai...
हमने वीराने को गुलज़ार बना रखा है
ReplyDeleteक्या बुरा है जो हकीक़त को छुपा रखा है....
....Aur kya kya chupa rakha hai is blog main haya ji ?
गज़ल में इक गुलज़ार समां बना रखा है, हया जी।
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन ...हमारे ब्लोग पर आपका स्वागत है
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