हमें अब जगमगाना आ गया है
चरागे़ दिल जलाना आ गया है
मेरी खामोशियां भी बोलती हैं
उन्हें भी गुनगुनाना आ गया है
मैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
परों को आज़माना आ गया है
ये मेरी जुर्रते परवाज देखो
उफ़क़ के पार जाना आ गया है
क़यामत या बाला समझो के आफत
शबाब आखि़र था आना आ गया है
ग़ज़ल उनसे कहीं मंसूब होगी
लबों पर खुद तराना आ गया है
'हया' दुनिया से मिटती जा रही है
'हया' कैसा ज़माना आ गया है
मैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
ReplyDeleteपरों को आज़माना आ गया है
ये मेरी जुर्रते परवाज देखो
उफ़क़ के पार जाना आ गया है
aapki ye panktiyaan vishesh pasand aayi.
चमन में अब बहारें छा गयी हैं,
ReplyDeleteगुलों को मुस्कराना आ गया है।
हया जी!
आपने तो नगीने की तरब कमाल के शेर गढ़ दिये हैं।
बधाई!
बड़ी जोरदार entry मारी है ब्लॉग जगत में | पहली ही पोस्ट ' पिंजरा ले उडूँगी ' वाह वाह , क्या कहने ! और आपने हमें अपने ब्लॉग में शामिल किया , शुक्रिया |शुभ कामनाओं सहित
ReplyDeleteमेरी खामोशियां भी बोलती हैं
ReplyDeleteउन्हें भी गुनगुनाना आ गया है
बहुत खूब हया जी। सारे शेर अच्छे हैं। मैं हृदय से तारीफ करता हूँ।
काले रंग के कारण टिप्पणियाँ को पढ़ना मुश्किल हो रहा है। कुछ उपाय करें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
मैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
ReplyDeleteपरों को आज़माना आ गया है ..
वाह !! बेहतरीन पंक्तियाँ....
... एक गुजारिश है, हो सके तो टेम्पलेट बदल दें, इसमें कुछ चीजें जैसे कॉमेंट्स विजिबल नहीं है.
मैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
ReplyDeleteपरों को आज़माना आ गया है
ये मेरी जुर्रते परवाज देखो
उफ़क़ के पार जाना आ गया है
हयाजी बहुत खूबसूरत इरादे हैं लाजवाब गज़ल के लिये बधाई
स्वागत !
ReplyDeleteहमें अब जगमगाना आ गया है
चरागे़ दिल जलाना आ गया है
====
चिरागे दिल जब जलेगा तो रोशनी होगी ही.
बडी खूबसूरती से आपने शेर कहे है.
Is shaandaar aagaaj ke liye badhai.
ReplyDeletechittha jagat men aapka swagat hai. Aap ki rachnaaon se chhitthjagat aur samridh hoga.
inhi shhubhkaamnaaon ke saath
बहुत बढ़िया गजल.
ReplyDeleteअच्छा लगा आपका ब्लॉग देखकर. शुभकामनाएं और स्वागत.
लाजबाव
ReplyDelete'हया' दुनिया से मिटती जा रही है
ReplyDelete'हया' कैसा ज़माना आ गया है
waah lajawab
बहुत ही ख़ूबसूरत बात कही आपने। पिंजरा ले उड़ूंगी। वाह वाह।
ReplyDeleteअब इतना कुछ आ गया है तो बधाई तो बनती ही है , बधाई हो जी !
ReplyDeleteहया जी,
ReplyDeleteमेरी खामोशियाँ भी बोलती हैं
उन्हें भी गुनगुनाना आ गया है
बहुत ही खूबसूरत शेर कहा है, गज़ल को मुकम्मिल करता हुआ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
bahut achhi soch ki kalpna
ReplyDeleteमैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
ReplyDeleteपरों को आज़माना आ गया है
aap ki himmat ki daad deni padegi.bahut badi baat kahi aapne badhaaiiii
कितना शानदार और जानदार लिखा है आपने।
ReplyDeleteमैं जब चाहूँगी पिंजरा ले उडूँगी
परो को आजमाना आ गया है।
वाह।
आपके बारें में पढा। अच्छा लगा। अब तो आना जाना लगा रहेगा।
जानदार और शानदार रचना ...वाह
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
इतनी अच्छी नज़्म के साथ ब्लॉगजगत में इतना शानदार आगाज़.......वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है.......आपका आने वाला कल भी इसी तरह संवरे....ऐसी दुआ करते हैं....
ReplyDeleteसाभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......
आप ब्लाग पर भी हैं जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। आपका बुलबुल वाला गीत मुझे बेहद पसंद है।
ReplyDeleteमैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
ReplyDeleteपरों को आज़माना आ गया है
-बहुत उम्दा!!
एक अर्से से आपको यू ट्यूब के माध्यम से सुनते आ रहे हैं. आज ब्लॉगजगत में देख बहुत खुशी हुई. बहुत स्वागत है आपका.
मक़ते में 'हया' का प्रयोग
ReplyDeleteबेहद प्रभावशाली है.
===================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
हया जी
ReplyDeleteएक एक पंक्ति बेमिसाल है।
बधाई स्वीकारें
wah,
ReplyDeleteये मेरी जुर्रते परवाज देखो
उफ़क़ के पार जाना आ गया है
is she'r ne prabhavit kiya..
lazavaab likhti he aap...//
badhai aour meri shubhkamanaye
aapke baare me likhaa bhi padhha aour jis andaaz me aapne apne rahne ki chaah dilo me chaahi...is khyalaat ne chupake se dilo me jagah bhi banaa li./
ReplyDeleteनमस्कार हया जी,,
ReplyDeleteआप के ब्लाग पर पहली बार ही आया पर एक रचना देखकर ही मन प्रसन्न हो गया फ़ालोवर भी बन गया.....
मुझे यकीन है कि आप को भी मेरे ब्लाग जरूर अच्छे लगेंगे...
'हया' दुनिया से मिटती जा रही है
ReplyDelete'हया' कैसा ज़माना आ गया है
1222 1222 122 ka sundar pryog kiya aapne
bahut khoob
venus kesari
behtareen 'haya' ji. behtarin.
ReplyDeletepron ko aajmana aa gaya hai... waah-waah
आपकी गजलें आपके स्वर में सुना,स्वर्गिक आनंद पाया.......इस ब्लॉग पर आपने जो कुछ भी चस्पा किया है,उसके माध्यम से आपको जाना और सच कहूँ,सर फख्र से ऊंचा हो गया...जब गर्व से आपने खुद को औरत और " हया" को औरत का जेवर कहा.......
ReplyDeleteजिन मान्यताओं को खंडित करने का आपने संकल्प लिया है,वह अप्रतिम है.... शब्दों में उसकी प्रशंशा नहीं की जा सकती.....मैं आपकी मुरीद हुई.
यह हमारा सौभाग्य है की ब्लॉग के इस माध्यम से आपको सुनने जानने और आपसे बहुत कुछ सीखने ,प्रेरणा लेने का अवसर मिला....
निरंतरता बनाये रखें...शुभकामनायें.
मैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
ReplyDeleteपरों को आज़माना आ गया है
ये मेरी जुर्रते परवाज देखो
उफ़क़ के पार जाना आ गया है
'हया' जी,
बहुत खूब लिखा है आपने, दिल बस बाग़-बाग़ हो गया...
आपको सुना और थोडा-बहुत जाना, यकीन करें बहुत ही अच्छा लगा.....
'अदा'
ऐ काश अपने मुल्क में ऐसी फ़ज़ा बने
ReplyDeleteमंदिर जले तो रंज मुसलमान को भी हो
पामाल होने पाए न मस्जिद की आबरू
ये फ़िक्र मंदिरों के निगेहबान को भी हो"
मेरी खामोशियां भी बोलती हैं
उन्हें भी गुनगुनाना आ गया है
मैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
परों को आज़माना आ गया है
क़यामत या बाला समझो के आफत
शबाब आखि़र था आना आ गया है
इस कदर बेबाक बयानी
ठोकरों की है मेहरबानी
हर लफ्ज़ उतर गया गहरा
चल पडी हवाएं रूमानी
हया तो रंगे हयात भी है
बरसती रहे निगहेबानी
बहुत खूब
लिख रहीं हैं आप
यूँहीं लिखती रहिये बेबाक
बधाइयाँ
sab ujaale ho gaye doobte dinkar k naam.
ReplyDeleteaap ki kavita ati sundar hai aur bhav poorn hai
loksangharsha
bhut khub likhti hai aap.
ReplyDeleteमैं जब चाहूंगी पिंजरा ले उड़ूंगी
ReplyDeleteपरों को आज़माना आ गया है
Aur ye line aajki betion ko..samarpit
sach me lata jee...aapki tarif karne ke liye shabd nahi mere pass..bas aap mahsus karlijiye.. Sath me aapko NEW YEAR 2010 ki hardik subhkamnaye....!