नफरतों की कमी यां वहां तो नहीं
पर मुहब्बत भी कम शय मियां तो नहीं
क्या गिराएंगी यकजहतियों के समन
ये हवाएं हैं ये आंधियां तो नहीं
इतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
कुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
उनको नेता कहा तो ख़फा हो गए
नाम ही है दिया गालियां तो नहीं
जो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
वो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं
यकजहतियों=एकता
समन= फूल
namaskaar hay ji aap ki gajal baati hi baato me jivan ki yaisi sachhayi kah seti hai jo yek choot si karti prtit hoti hai ye layne vo hai
ReplyDeleteक्या गिराएंगी यकजहतियों के समन
ये हवाएं हैं ये आंधियां तो नहीं
mera prnaam swikaar kare
saadar
praveen pathik
9971969084
बहुत खुब लता जी, बेहतरीन लिखा है आपने।।
ReplyDeleteumdaa
ReplyDeletebehtareen
bahut khoob !
_________________badhaai !
आप बहुत बेहतरीन लिखती हैं
ReplyDeleteइतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
ReplyDeleteकुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
उनको नेता कहा तो ख़फा हो गए
नाम ही है दिया गालियां तो नहीं
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने...
बेहतरीन...
बधाई...
इतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
ReplyDeleteकुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
शानदार --- बहुत बढिया
इतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
ReplyDeleteकुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
bahut achchha - behtareen
बड़े अच्छे शेर हैं।
ReplyDeleteइतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
ReplyDeleteकुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
बहुत खूब हया जी। खूबसूरत।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
waah
ReplyDeletekya baat hai
badhiya ghazal lagi
आज की आवाज
लोकसभा के नोटिस बोर्ड पर टांगना चाहिये:
ReplyDeleteइतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
कुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
-बेहतरीन रचना!
जो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
ReplyDeleteवो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं
bahut khub
नमस्कार
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखतीं हैं. बहुत अच्छा लगा.
Lata ji .....kis zuba se taree karoon aapki... Maa saraswati ki vishesh anukampa hai aap par. I really of you and myself too that I found you on blooger's world
ReplyDelete"इतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
कुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
उनको नेता कहा तो ख़फा हो गए
नाम ही है दिया गालियां तो नहीं
जो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
वो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं "
Bilkul dil choora liya aapne to
मैं कि औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर, बस तख्ख़लुस इसी बाईस तो'हया'रखा है...bahut khuub...
ReplyDeletewah kya khub likha hai...
ReplyDeleteअच्छा लिखा है आपने। आभार।
ReplyDeleteरचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
ReplyDelete" bahut khub hayaji dil ki baaat kahe dali "
ReplyDelete---http://eksacchai.blogspot.com
बढ़िया ग़ज़ल... वाह-वाह..
ReplyDeleteबहुत उम्दा, लाजवाब!
ReplyDelete---
इतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
ReplyDeleteकुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं...
Behad Umda gajal hai...aur ye sher to dad pe dad pane ka haqdar....
उनको नेता कहा तो ख़फा हो गए
ReplyDeleteनाम ही है दिया गालियां तो नहीं
क्या खूब कहा आपने.......करारा कटाक्ष .....एकदम लाजवाब ...
जो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
वो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं !!!!
और इस शेर की तो क्या कहूँ ..... मन गदगद हो गया........इस बात पर तो आपके कलम के नाम अपनी गुलामी लिख दूं ......बहुत बहुत बहुत ही बेहतरीन ....
Kya gazab likhtee hain aap..!
ReplyDeleteजो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
ReplyDeleteवो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं
steek alfaaz
behtar istemaal
umdaa izhaar
achhee ghazal
badhaaee......
---MUFLIS---
उनको नेता कहा तो ख़फा हो गए
ReplyDeleteनाम ही है दिया गालियां तो नहीं
वाह लाजवाब लिखा है......... अच्छा लगा पढ़ कर ...... ये SHER तो KMAAL का है
नफरतों की कमी यां वहां तो नहीं
ReplyDeleteपर मुहब्बत भी कम शय मियां तो नहीं
Umdaa
जो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
ReplyDeleteवो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं
कोई शक?
lata ji aapko padhne se jaada achha lagta hai aap ko mancho pay sunanaa. kal aap kalyaan aa rehi hain ,aap ki kavitaain jaroor sunugaa.
ReplyDeleteAap to wakai kamaal ka likhti hain.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
जो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
ReplyDeleteवो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं
वाह बहुत खूबसूरत ! क्या कहने !
सभी शेर कबीले तारीफ.
ReplyDeleteबधाई.
Apka blog to bahut sundar hai.kabhi mere blog par bhi ayen.
ReplyDeletebahut khub likha apne, sarthak srijan.
ReplyDeleteफ्रेण्डशिप-डे की शुभकामनायें. "शब्द-शिखर" पर देखें- ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे !!
इतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
ReplyDeleteकुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
बहुत ख़ूबसूरत मज़ाहिया ग़ज़ल है.
bahut hi khoobsoorat rachna........
ReplyDeleteUrdu pe aapki achchi pakad hai......
उनको नेता कहा तो ख़फा हो गए
ReplyDeleteनाम ही है दिया गालियां तो नहीं ....
..kya kehti hain aap haya ji.
"neta" kya kum badi gaali hai?
हसीन हिन्दी की बात उर्दू में, वाह क्या बात है!! जवां या जुवां क्या सही है ?
ReplyDeleteइतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
ReplyDeleteकुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
अच्छा है
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है.