
नफरतों की कमी यां वहां तो नहीं
पर मुहब्बत भी कम शय मियां तो नहीं
क्या गिराएंगी यकजहतियों के समन
ये हवाएं हैं ये आंधियां तो नहीं
इतनी भी जी हुजूरी नहीं है भली
कुरसियां हैं जी ये बीवियां तो नहीं
उनको नेता कहा तो ख़फा हो गए
नाम ही है दिया गालियां तो नहीं
जो है महफ़िल में सबसे हसीं ऐ 'हया'
वो कहीं मेरी हिंदी ज़बां तो नहीं
यकजहतियों=एकता
समन= फूल