आदमी शैतान होता जा रहा है
क्या उसे भगवान होता जा रहा है
ये निठारी काण्ड तौबा देख कर हा!
ख़ुद ख़ुदा हैरान होता जा रहा है
हैं मेरे हालत तो ईराक़ जैसे
हौसला ईरान होता जा रहा है
धर्म तो नेताओं के हत्थे चढ़ा है
जुर्म अब ईमान होता जा रहा है
मैच फिक्सर या पुलिस की जेब में अब
नोट ही मेहमान होता जा रहा है
देन है उसकी हुनर के शोहरतें फिर
क्यों उसे अभिमान होता जा रहा है
वो जो मुझ पर तंज़ करता है 'हया' जी
ख़ुद ही बेईमान होता जा रहा है
"Nari ka wyapak apmaan aur bhartiy napunsakta"... Read my article based on women position in our society.
ReplyDeletemaine aapki kavita padhi...
ReplyDeleteधर्म तो नेताओं के हत्थे चढ़ा है
जुर्म अब ईमान होता जा रहा है
kafi achchhi pankti hai...
सही लिखा है जी आपने
ReplyDeleteजुल्म का अम्बार ढोता जा रहा है,
ReplyDeleteआदमी हैवान होता जा रहा है ।।
आजकल के हालात का आपने बेहतरीन ख़ाका खींचा है।
बधाई!
बेहतर । आभार ।
ReplyDeleteJo eemaan daaree ka dhindhara peettee hain...sab se adhik be-eemaan to wahee hote hain!
ReplyDeleteआपको एटीवी उर्दु पर सुना। बडा मज़ा आया।
ReplyDeleteआपकी ईस बात के हमारा कायल हैं कि...मैं कि औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर, बस तख्ख़लुस इसी बाईस तो'हया'रखा है.कि...
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteaaj ka sach.narayan narayan
ReplyDeleteसच को बया करती सुन्दर रचना
ReplyDeleteधर्म तो नेताओं के हत्थे चढ़ा है
ReplyDeleteजुर्म अब ईमान होता जा रहा है
देन है उसकी हुनर के शोहरतें फिर
क्यों उसे अभिमान होता जा रहा है
सत्य ही कहा आपने. रावण और उनके राक्षस सरीखे जांबाजों को इंतजार तो सिर्फ राम का है, ताकि उद्धार हो सके, इसीलिए बेखौफ हो कर दरिंदगी के गर्त में गिरते ही जा रहे हैं, इसीलिए मैं यह शेर आपके ग़ज़ल के शेर से प्रभावित हो कर ही कह रहा हूँ........
गोया इंतजार है उन्हें तो बस उद्धार का
प्रभु- संहार का सामान होता जा रहा है
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
वो जो मुझ पर तंज़ करता है 'हया' जी
ReplyDeleteख़ुद ही बेईमान होता जा रहा है
BAHUT SUNDAR !
कविता के बहाने..तीर बुराइयों पर खूब साधे
ReplyDeletebahut sudar......
ReplyDeletesiriyal ka kam pura ho gaya?
ReplyDeleteबहुत खूब। सच्चाई को उकेरती शानदार रचना
ReplyDeleteमैच फिक्सर या पुलिस की जेब में अब
ReplyDeleteनोट ही मेहमान होता जा रहा है
Ultimate
jurm ab imaan ho raha hey.aaj kal ke haalat ka SATIK CHITRAN BAHUT BAHUT AABHAAR ASHOK.KHATRI 56@GMAIL.COM
ReplyDeleteअति सार्थक और यथार्थपरक रचना.......
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ढंग से आपने इन्हें शब्दों में बाँधा है...जो सीधे मन में उतनी ही गहनता से उतर जाते हैं.. बहुत ही सुन्दर रचना..बधाई..
wow... ! आज मै पहली बार आपके ब्लोग पर आयी और लाजवाब हो गयी… ब्लोग देखकर ज़ोर से चीखी थी… "मम्मी मयन्क की नानी मां का ब्लोग मिला !!!" हाहा !
ReplyDeletewell, बेहद ही अच्छा लगा यहां आकर्… बेहतरीन रचनायें… पढ्ती रहूंगी… और सीखती रहूंगी…
मेरे ब्लोग पर आप सादर आमन्त्रित हैं…
धन्यवाद्।
रश्मि।
waise to sabhi sher achche hai .....desh aur pardesh dono ke haalato ko bayan karte but I liked most "देन है उसकी हुनर के शोहरतें फिर
ReplyDeleteक्यों उसे अभिमान होता जा रहा है " have a nice time ahead
धर्म तो नेताओं के हत्थे चढ़ा है
ReplyDeleteजुर्म अब ईमान होता जा रहा है
अति सुन्दर अभिव्यक्ति
लता जी ,
ReplyDeleteअपकी इस गजल का जवाब नहींअमारे देश की हालत को पूरी तरह से
ब्यान करती गजल्।खास बात यह कि हर शेर अपने आप में मुकम्मल---एक यथार्थ परक और सुन्दर रचना के लिये बधाई स्वीकरें।
हेमन्त कुमार
यह ज़रूरी है कि समाज के सच पर लिखा जाए उसके लिये हौसला चाहिये और वो आप मे है बधाई ।
ReplyDeleteसच को बखूबी बयां किया है आपने। मुबारकबाद कुबूल फरमाएं।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
lata ji ,
ReplyDeleteaap bahut achha likhti hai .yah jaroori hai ki samaj ke sachaiyo pe likha jaye...
मैच फिक्सर या पुलिस की जेब में अब
ReplyDeleteनोट ही मेहमान होता जा रहा है बहुत उम्दा !
बेहतरीन !
इस सामयिक एवं सार्थक गजल केलिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हर लफ्ज सीधे दिल में उतरता है... हर शब्द में सच्चाई है
ReplyDeleteमैं देर, बल्कि काफी देर से आप तक आ सका हूँ. फिर भी देर आयद.... आपने हमेशा और अपनी पहचान के मुताबिक गजल पेश की है. इराक और ईरान वाले शेर के लिए आप ख़ास तारीफ की हकदार हैं. यह शेर आपके इल्म, जहानत, सोच को तो पारिभाषित करता ही है नये कंटेंट्स और दुनियावी मसाइल पर आप की नजरें हैं, इस बात का सबूत भी है. मुबारकबाद, यह सफर जारी रहे.
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब...उम्दा ग़ज़ल....सार्थक गजल ने मन मोह लिया...वाह...
ReplyDeleteलताजी
ReplyDeleteनमस्कार ,
आपकी ग़ज़ल बार बार मुझे आपके ब्लॉग पर आने को मजबूर करती है| आपकी सभी गज़ले बेहतरीन है .
और ये पंक्तियाँ ---
देन है उसकी हुनर की शोहरतें फिर
भी क्यों उसे अभिमान होता जा रहा है -----
तो बहुत ही खूबसूरत हैं .
पूनम
कुछ देर से पढ पाया इतनी सुन्दर रचना को
ReplyDeleteये निठारी काण्ड तौबा देख कर हा!
ख़ुद ख़ुदा हैरान होता जा रहा है
वीभत्स स्वरूप होता जा रहा है इंसान का
बेहतरीन अभिव्यक्ति
हैं मेरे हालत तो ईराक़ जैसे
ReplyDeleteहौसला ईरान होता जा रहा है
धर्म तो नेताओं के हत्थे चढ़ा है
जुर्म अब ईमान होता जा रहा है
Achchhe sher
लता जी आप की सबी रचनाये एक से बढ़कर एक है,जिनमे इंसानियत की कडवी सच्चाई छुपी है,आप की रचनाओ में वो जस्बा है जो लगो को आपस में जोड़ कर रखने की ताकत रखता है,प्रेम और भी चारे का ये सिलसिला हमेशा कायम रकियेगा
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