
हिंदी दिवस पर समस्त हिंदी प्रेमियों और हिन्दुस्तानियों को बधाई.सोचा तो था के सुबह सुबह मुबारकबाद पेश करुँगी लेकिन कवि सम्मेलनों का सिलसिला चालू है,पूरा हिंदुस्तान हिन्दीमय होगया है,हिंदी को याद करने के नए नए तरीके ढूंढे जा रहे है,हर ऑफिस हर विभाग में हिंदी से सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है,कहीं खुद को राष्ट्रभाषा प्रेमी साबित करने के लिए तो कहीं बजट में सरकार को हिंदी के ऊपर हुआ ख़र्चा दिखाने के लिए,कवियों की चांदी हो रही है ;मै भी कुछ कवि सम्मलेन पढ़ चुकी हु कुछ पढ़ने वाली हूँ , इस पूरे महीने हिंदी पखवाड़ा मनने तक, सब कार्यक्रमों की दास्ताँ बाद में बताऊंगी अभी हिंदी भाषा की विभिन्न स्थितियों पर एक एक करके नज़र डालिए :
१) हिंदी की कसक :-
सोचा न था मगर मुझे आभास हो गया
बेघर हूँ अपने घर में ये विश्वास होगया
सीमित है पुस्तकों के ही पन्नो तलक ये अब
हिंदी में बात करना तो इतिहास होगया
२)हिंदी ज़रूरी है क्यूंकि :-
अगर हिंदी समझते हो ग़ज़ल फिर रास आयेगी
सुहानी कल्पना चलकर तुम्हारे पास आयेगी
सितारे इश्क़ फरमाएंगे,चंदा घर बुलाएगा
कला,तहज़ीब भी मिलने तुझे बिंदास आयेगी.
३)क्यूकि भाषा एक तहजीब है और नेमत भी:-
सभी के पास उसकी रहमतों का धन नहीं होता
जो होता भी है तो फूलों के जैसा मन नहीं होता
के जो लोगो के ग़म, तकलीफ और जज़्बात को समझे
वही होता है कवि, हर बाग़ वृंदावन नहीं होता
४)क्यों मैंने सच कहा न? :-
ह्रदय के ग्रन्थ से निकले हितैषी है वही रचना
किसी हिंदी विरोधी के घृणित सन्देश से बचना
हो भाषाविद 'हया' लेकिन सरलता तो हो भाषा में
कभी तो राष्ट्र भाषा बोलिए,मैंने कहा सच न?
५)तो बोलिए हिंदी है हम...........वतन है हिनुस्तान हमारा:-
यहाँ पर राम बसता है,यहाँ रहमान बसता है
यहाँ हर ज़ात का,हर कौम का इन्सान बसता है
जो हिंदी बोलते है बस वही हिन्दू नहीं होते
वही हिन्दू हैं जिनके दिल में हिंदुस्तान बसता है
" जय हिंद"