
मेरे दिल पर किसी की भी हुकूमत चल नहीं सकती
मुहब्बत हूँ मेरे आँचल में नफ़रत पल नहीं सकती
करोगे इश्क़ नफ़रत से तो धोखा खाओगे इक दिन
मुहब्बत नाम की औरत कभी भी छल नहीं सकती
उन्हें हिंसा गवारा है, हमें इंसान प्यारा है
कभी इंसानियत खूनी सड़क पर चल नहीं सकती
मैं जब कुछ कर नहीं सकती तो फिर ये सोच लेती हूँ
मुक़द्दर में यही है और होनी टल नहीं सकती
न जाने कौन है जिनको बुराई रास आती है
'हया' को तो गुनाह की एक पाई फल नहीं सकती