
मैं देर करती नहीं ,देर हो जाती है,हालाँकि इस बार उचित कारणों से हुई है,हिंदी पखवाड़ा,गणेश महोत्सव,ईद मिलन के कार्यक्रमों में वक़्त कहाँ गुज़र गया,पता ही नहीं चला। जैसे हम साल भर हिंदी के लिए हिंदी दिवस का इंतज़ार करते हैं ,वैसे ही मैं भी हिंदी की पोस्ट के लिए एक ख़ाली दिवस का इंतज़ार कर रही थी जो आज मिला है ।हालांकि ज़हन में कशमकश चालू थी की आपको हमको भी तो मिलना हैं- मेरी ग़ज़ल "ज़रूरी है" पर किसीने एक कमेन्ट किया था उसे ही शेर के तौर पर आप तक पहुंचा रही हूँ-
चलो माना बहुत मसरूफ है ये ज़िन्दगी लेकिन
मुहब्बत करने वालों से मुहब्बत भी ज़रूरी है
और आप सब तो (ब्लॉग जगत)net पर मेरी पहली मुहब्बत हैं और इन्सान अपनी पहली मुहब्बत को कभी नहीं भूलता,हालांकि आप सब इधर-उधर रक़ीबों के साथ भटकते-भटकते टकरा जाते हैं - कभी facebook पर,कभी ट्विटर पर तो कभी और कहीं मगर फिर लौट कर यहाँ आ जाते हैं,शायद इसी लिए मशहूर शायरा (पाकिस्तान) परवीन शाकिर साहिबा ने कहा होगा-
वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मेरे हरजाई की
तो जनाब यहाँ मिलने का मज़ा ही अलग है क्यूंकि ब्लॉग-जगत तो भाषा-प्रेमियों का सब से रोमांटिक स्थल (लव पॉइंट)है ; यहाँ हिंदी को propose किया जाता है,उसके साथ डेटिंग की जाती है,प्यार भरी गुफ़्तगू की जाती है,कहीं कहीं मैंने तक़रार के नज़ारे भी देखे हैं,कभी शिकायतें होती हैं,गिले-शिकवे होते हैं,रिश्ते टूटते हैं फिर जुड़ जाते है और फिर सब घुल मिलकर वापस गले मिल जाते हैं जैसे हिन्दुस्तानी अपनी महबूबा हिंदी भाषा को साल भर फरामोश करके फिर एक दिन मिल जाते हैं तो ब्रेक ऑफ़ और patch up की इस अदबी दोस्ती-दुश्मनी के मंच पर मेरी मुबारकबाद क़ुबूल करते हुए ग़ज़ल के मतले पर गौर फरमाएं :-
यूँ तो समन्दरों से मेरी आशनाई है
प मेरी प्यास में भी अजब पारसाई है
राहत की बात ये है के बेदाग़ हाथ हैं
उरयानियत की हमने हिना कब लगायी है
छोटी को निगल जाएँ बड़ी मछलियां प मैं
ज़िंदा हूँ इनके दरमियाँ,क्या कम ख़ुदाई है ?
जा मैंने इस्तफादा किया अश्क से तो क्या
तुझको नमी क्या आँख की मैंने दिखाई है ?
इससे बड़ा मज़ाक़ तो होगा भी क्या भला
हिन्दू हैं,मुल्क हिंद है,हिंदी परायी है !
हमको तमाशबीन जो कहते हैं,हैफ़ है
और वो ? दुकान जिसने सदन में लगायी है
ये सोच कर के बात बिगड़ जाये ना कहीं
मैंने लबे-"हया" पे खमोशी सजाई है
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प = पर
आशनाई= जान पहचान
पारसाई = सब्र ,संयम
इस्तफादा= फायदा उठाना
उर्यानियत =नग्नता
खमोशी= ख़ामोशी