
भोपाल एअरपोर्ट पर बैठी हूँ,कल B H E L द्वारा स्वतंत्रता-दिवस समारोह के उपलक्ष्य में all India Mushaira आयोजित किया गया था,उससे एक दिन पहले,धार(इंदौर) में भी सर्व धर्म सद्भाव समिति द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मलेन आयोजित किया गया था ; उर्दू मंच हो या हिंदी मंच,मुस्लिम हो या हिन्दू,सब ज़ोर शोर से देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओ को अपना समर्थन दे रहे थे,शहीदों को भीगी आँखों से याद कर रहे थे,समाज के लिए नयी नयी योजनओं को प्रारंभ करने की घोषणा कर रहे थे ; " ये है हिंदुस्तान ",देशभक्ति ,यकजहती ,धार्मिक सौहार्द्र ,मिलजुल कर ख़ुशियाँ बाँटने का प्रयास ; ये वो हिंदुस्तान था जिसके लिए शहीदों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी लेकिन हमें दिखाया जाता है वो हिंदुस्तान जो संसद में गाली गलौज करता है ,घोटाले करता है ,बुतों पर जूतों की मालाएं चढ़ाता है,दंगा करता है,धर्म को लेकर झगड़ता रहता है ;जो ग़रीब है,भ्रष्ट है,ज़ात-पात को लेकर अनेक कुंठाओं से ग्रस्त है,जिसे आप हम लोग रोज़ मीडिया की नज़र से देखते है और सियासत की ज़बां से सुनते हैं और नेताओं की बुद्धि से समझते हैं ; मैंने भी यही किया इसलिए आपको happy Independence day नहीं कहा लेकिन जब पिछले २ दिनों में हिंदुस्तान को अपनी नज़र से देखा,श्रोताओं की ज़बान से सुना और अदब के दिमाग़ से समझा तो दिल ग्लानि से भर गया ,तमाम मंज़र ही बदल गया ,यक़ीन जानिए जब हम इन तमाम बुराइयों को नज़रअंदाज़ कर मोहब्बत की नज़र से मुल्क को देखेंगे तो सब अच्छा लगेगा ; तो बस दिल चाहा कि आपको शुभकामनाएं पहुंचा ही दूं , हम क्यूँ अपनी मोहब्बतों ,दुआओं में कंजूसी और कटौती करें ? तो लीजिये देर से ही सही इस ग़ज़ल के साथ आपको स्वतंत्रता दिवस की मुबारकबाद पेश करना चाहती हूँ ;
कुर्सी का नेता क्या बनना,दिल पर राज करो तो जाने
किया शहीदों ने जो कल था,वो ही आज करो तो जाने
ज़ात-पात भाषा का झगड़ा,ये तो कोई काम नहीं है
माणुस से माणुस को जोड़ो,ऐसे काज करो तो जाने
भेद भाव का तिलक लगाकर,माथे की सज्जा करते हो
यकजहती का ख़ून बचाकर,ख़ुद की साज करो तो जाने
कितनो की रोज़ी छीनोगे ,लाशों पर रोटी सेकोगे
हाय ग़रीबो के बच्चों को,ना मोहताज करो तो जाने
अंग्रेज़ों की नीति छोड़ो ,हिन्दुस्तां को यूँ ना तोड़ो
"हिंदी हिंदी भाई भाई" को सरताज करो तो जाने
" भारतवासी भारत छोड़ो", वाह जी ये कैसा नारा है?
नफ़रत की दुनिया का ख़ुद को ,मत यमराज करो तो जाने
केवल अपने घर की रक्षा, ये सैनिक का धर्म नहीं है
हर माँ बहिना की इज्ज़त कर,ख़ुद पर नाज करो तो जाने
यही दुआ है हिन्दुस्तां की सबसे ऊँची कुर्सी पाओ
लेकिन पहले हिन्दुस्तां का ख़ुद को ताज करो तो जाने
(नाज़ की जगह नाज लिखा है स्थानीय भाषा में)
(१६ अगस्त को लिखी थी एअरपोर्ट पे पर किन्ही कारणों से आज पोस्ट कर पा रही हूँ )
----x---------x--------x---------x---