
आज एक अप्रैल है ---अप्रैल फूल यानि बेवकूफ़ बनाने का दिन ...लेकिन हम तो सालों से हर दिन किसी ना किसी मुद्दे पर बुद्धू बनते रहे हैं ;जब हालात कुछ और होते हैं और हकीक़त कुछ और ,,,,,और फिर भी कहा यही जाता है कि सब कुछ ठीक है .........क्या वाक़ई ....
और सब कुछ ठीक है ?
मुल्क में दंगा हुआ है, और सब कुछ ठीक है
आदमी नेता हुआ है, और सब कुछ ठीक है ?
ये गनीमत है हवा खाते हो अब भी मुफ़्त में
प्याज़ बस महंगा हुआ है, और सब कुछ ठीक है ?
घर ग़रीबों के गिरें क्या फ़र्क़ बिल्डर को पड़े
आदमी से धन बड़ा है, और सब कुछ ठीक है ?
रोज़ इज्ज़त लुट रही है लड़कियों की रेल में
रोज़ इंसां कट रहा है, और सब कुछ ठीक है ?
मेरे चेहरे पर उदासी ?बात करते हैं जनाब ?
आंख से पानी बहा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
मेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
बेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?