ख़ुदा गवाह ही कि जो कह रही हूँ सच कह रही हूँ :-
"देखा, मैं तेरी ख़ुशबू से intelligent होगई हूँ " ये सुनते ही मैं चौंक पड़ी , यक़ीन करना मुश्किल हो रहा था कि ये जुमला मेरी उस बुज़ुर्ग माँ की ज़बान से निकला था जो दस दिन पहले जब मेरे सुपुर्द की गयी थी(भाई ऑस्ट्रेलिया गया था),ना ठीक से चल पाती थी , ना समझ पाती थी ,जिनकी आँखों की रौशनी और याददाश्त उम्र कि वजह से कमज़ोर हो चली है और जिसने आते ही ये सवाल किया था कि तू पिंकी ही है ना?(my nickname) ,उसकी ज़बान से ये जुमला !
तक़रीबन दोपहर ४ बजे का वक़्त था , etv urdu पर mushaira आ रहा था , मुझे १४ नवम्बर को नेहरु रत्न अवार्ड मिलने वाला था , मैं वहां जाने के लिए तैयार हो रही थी , मम्मी को उस दिन सुब्ह तैयार नहीं कर पायी थी ,इन दिनों वो सारे फ़र्ज़ मुझे अदा करने पड़ रहे है जो बचपन में माँ हमारे लिए किया करती थी तो मैंने मम्मी से कहा कि चलो आपको ग़ुस्ल करवा दूं , फिर मुझे जाना है ; उधर mushaire में शेर पढ़ा जा रहा था "मोहब्बत नहीं है आसान मामू " माँ बड़े गौर से सुन रही थी , इधर मेरी गुहार , उधर अशआर , तो बस यूं लगा जैसे मेरी माँ में किसी शायर की रूह घुस आई हो , अचानक शुरू हो गयीं , "मुश्किल है अब इन्कार सरला( उनका नाम),होगई है तू ...... रुक गयीं, बोलीं "बता ना आगे क्या होगा? ",मैंने कहा " हो गयी है तू लाचार सरला " , तो ख़ुश हो गयीं "हाँ " फिर दूसरा मिसरा लगाना शुरू किया , "बेटी का है फरमान सरला" और यक़ीन जानिये कि क्या-क्या बोलती गयीं - मैं हैरान और परेशान और जब उन्होंने ये कहा " अब तो पड़ेगा ही नहाना , आगे नहीं आता है बनाना " तो मेरी ज़बान से निकला कि , वाह ! अरे मम्मी आप तो शायरी कर रहीं हैं और फिर .............. उनकी ज़बान से ये जुमला निकला " देखा? तेरी खुशबू से मैं intelligent होगयी हूँ"और ये कह कर उन्होंने मेरा गाल चूम लिया .
उनकी ज़बान से निकली हुई ये बात मुझे छू गयी । विरासत में हमें उनसे बहुत कुछ मिला है । राजस्थान के cheif minister की steno रह चुकी हैं लेकिन बुढ़ापा इंसान को जिस मरहले पे ले आता है , वहाँ हमें ये सोचना चाहिए कि हमारे parents सिर्फ़ बुज़ुर्ग हुए हैं ,मरीज़ नहीं जबकि हम उनके बुढ़ापे को एक लाइलाज रोग समझकर घर के एक कोने में 'रख' देते हैं ; ख़ुशनुमा माहौल के बगैर तने तन्हा पड़े पड़े ये माँ बाप वक़्त से पहले ही चल देते हैं ।
जिस तरह मशीनों को तेल की, गाड़ियों को पैट्रोल की , पेड़-पौधों को खाद की ज़रूरत होती है , उसी तरह बुज़ुर्गों को रौनक़ की, साथ की , देखभाल और प्यार की ज़रूरत होती है ।
मेरी माँ की ये तस्वीर चीख़-चीख़ कर कह रही है कि children day सिर्फ़ parents द्वारा बच्चों को प्यार बाँटने का दिन नहीं बल्कि बच्चों द्वारा भी parents की केयर करने का दिन होना चाहिए ।
हम कितने भी बड़े हो जायें उनके लिए बच्चे ही रहेंगे और जब वो बच्चे की तरह हो जायें तब हमें भी उनके साथ बच्चों जैसा प्यार बाँटना चाहिए .............बाल दिवस पर ये matra - ratna award एक बेटी के लिए नेहरु ratna award से किसी भी तरह कम ना था .
यही सोचते - सोचते जब मैं function में पहुंची और जब मेरे हाथ में mike थमाया गया तो यक- ब -यक मैं ये घटना सुना बैठी , सब गौर से सुन रहे थे , महसूस कर रहे थे .........
उस दिन मुझे इस बात का और यक़ीन हो गया कि सिर्फ़ संगीत की ताक़त ही किसी रोग का इलाज नहीं करती बल्कि शब्द की शक्ति ,अल्फाज़ की ताक़त , अदब का असर और शायरी की ख़ुशबू भी दवाई सा काम करती है .......... वो ख़ुशबू मेरी नहीं,उर्दू की थी , ज़बान की थी,शायरी की थी जिसने मेरी माँ को चंद लम्हों के लिए "intelligent" बना दिया था ।
आज उनको ये घटना याद भी नहीं है ,वो भूल चुकी हैं कि मैंने ऐसा भी कुछ कहा था लेकिन मैंने सोच लिया है कि मैं अब उनके आस पास शायरी को ज़िंदा रखूंगी और सिर्फ़ 'पिंकी' बन कर नहीं , उर्दू और शायरी बनकर रहूंगी ;
मेरी तो ज़ात-पात, धर्म, दीन शायरी
ये घर ,मकां ,जहां ,फ़लक ,ज़मीन शायरी
देखा जो तुमने प्यार से तो यूं लगा मूझे
जैसे कि हो गयी हूँ मैं हसीन शायरी
ख्वाहिश की तितलियाँ बड़ी कमसिन है, शोख़ हें
इनके तुफ़ैल होगयी रंगीन शायरी
सरज़द हुई हैं ऐसी भी दिल पर हक़ीक़तें
रिश्तों का लिख गयी नया आईन शायरी
ग़ैरत की लाश हाथ में लेकर ग़ज़ल कहूं
तेरी न कर सकूंगी यूं तौहीन शायरी
लैला -ए- शायरी हूँ मेरा क़ैस है सुख़न
ये जुर्म है तो दे सज़ा , ना छीन शायरी
इक लम्स है ये शायरी मेरे लिए ' हया '
उनकी नज़र में लाम , मीम , सीन, शायरी
- x - x - x -
ग़ुस्ल करना = नहाना
तने तन्हा =बिल्कुल अकेला
तुफैल = वजह
आईन= संविधान
सरज़द = घटित
क़ैस = मजनू का नाम
लाम मीम सीन = means l ,m, s( in urdu)
देखा जो तुमने प्यार से तो यूं लगा मूझे
जैसे कि हो गयी हूँ मैं हसीन शायरी
ख्वाहिश की तितलियाँ बड़ी कमसिन है, शोख़ हें
इनके तुफ़ैल होगयी रंगीन शायरी
सरज़द हुई हैं ऐसी भी दिल पर हक़ीक़तें
रिश्तों का लिख गयी नया आईन शायरी
ग़ैरत की लाश हाथ में लेकर ग़ज़ल कहूं
तेरी न कर सकूंगी यूं तौहीन शायरी
लैला -ए- शायरी हूँ मेरा क़ैस है सुख़न
ये जुर्म है तो दे सज़ा , ना छीन शायरी
इक लम्स है ये शायरी मेरे लिए ' हया '
उनकी नज़र में लाम , मीम , सीन, शायरी
- x - x - x -
ग़ुस्ल करना = नहाना
तने तन्हा =बिल्कुल अकेला
तुफैल = वजह
आईन= संविधान
सरज़द = घटित
क़ैस = मजनू का नाम
लाम मीम सीन = means l ,m, s( in urdu)
dil se nikli baat ko dilon tak pahuchata bhavpurn aalekh .bahut kuchh sochne ko majboor karta aalekh .aabhar.
ReplyDeleteग़ैरत की लाश हाथ में लेकर ग़ज़ल कहूं
ReplyDeleteतेरी न कर सकूंगी यूं तौहीन शायरी
सुन्दर रचना! के लिए साधुवाद स्वीकार करें
ग़ैरत की लाश हाथ में लेकर ग़ज़ल कहूं
ReplyDeleteतेरी न कर सकूंगी यूं तौहीन शायरी
खुबसूरत गज़ल हर शेर दाद के क़ाबिल, मुबारक हो
पहली बार आपके व्लाग पर आयाऔर बहुत खुबसूरत शायरी पढने की मिली , बधाई!
सच है बुजुर्गो को भी प्यार से सींचा जाए तो उनमें फूल ही खिलते हैं। पता नहीं हम क्यों उनसे दूरियां बना लेते हैं? बहुत अच्छा संस्मरण।
ReplyDeleteमन को छूता हुआ संस्मरण और शायरी तो गज़ब की ..लाजवाब पोस्ट
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDelete''वो ख़ुशबू मेरी नहीं,उर्दू की थी , ज़बान की थी,शायरी की थी जिसने मेरी माँ को चंद लम्हों के लिए "intelligent" बना दिया था।''
ReplyDeleteवाह वाह...
क्या कहने वाह...
आपका यह जुमला, कई ग़ज़लों पर भारी पड़ गया लता जी.
नेहरू रत्न पुरस्कार के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद.
मेरी तो ज़ात-पात, धर्म, दीन शायरी
ये घर,मकां ,जहां ,फ़लक, ज़मीन शायरी
मतले से लेकर-
इक लम्स है ये शायरी मेरे लिए ' हया '
उनकी नज़र में लाम , मीम , सीन, शायरी
मक़ते तक हर शेर में अदब से मुहब्बत की खुशबू महक रही है.
मैंने भी इ टीवी पर आपका मुशायरा कई बार सुना. अच्छा लगा माता जी का यूँ यकबयक शायरी करना. अपने बुजुर्गों में एक बच्चा ढूँढना ही सही है. कभी उन्होंने हमें खिलाया, चलना सिखाया, आज हमें अपना हाथ आगे बढ़कर उनकी उंगली थामनी है
ReplyDeleteआप की माँ का लगाया पौधा है आप ..कितनी मेहनत से सीचा होगा ... तो आज आपकी खुशबू जो सारे जहाँ को महका रही है उसपर उनका भी पूरा हक है ..
ReplyDeleteमाँ के बहाने आपने बुजुर्गों की जो बात उठाई है, उससे कौन इन्कार कर सकता है। "हमारे parents सिर्फ़ बुज़ुर्ग हुए हैं ,मरीज़ नहीं जबकि हम उनके बुढ़ापे को एक लाइलाज रोग समझकर घर के एक कोने में 'रख' देते हैं ; ख़ुशनुमा माहौल के बगैर तने तन्हा पड़े पड़े ये माँ बाप वक़्त से पहले ही चल देते हैं ।
ReplyDeleteजिस तरह मशीनों को तेल की, गाड़ियों को पैट्रोल की , पेड़-पौधों को खाद की ज़रूरत होती है , उसी तरह बुज़ुर्गों को रौनक़ की, साथ की , देखभाल और प्यार की ज़रूरत होती है ।"
दिल को छू गया आपका यह संस्मरण और शायरी तो दिलोदिमाग पर जैसे छा जाती है!
Bahut Khub-Bahut Khub
ReplyDeleteMeree aankhen nam ho aayeen....apnee maa ke bareme padhna behad achha laga.Shayaree ke to khair kya kahne!
ReplyDeleteबहुत अच्छी सीख देता आपका संस्मरण और गज़ल अच्छे लगे.
ReplyDeleteक्या कहूँ? लफ्ज़ नहीं सूझ रहे...मुझे फक्र है के मैं तुम जैसी बहन का भाई हूँ...
ReplyDeleteनीरज
sundar prastuti...
ReplyDeletekhoobsurati ki misaal!
ReplyDeletewah.koi shabd hi nahi hai kahne ke liye is bemisaal post per.
ReplyDeleteभावुक कर दिया आपकी इस सुन्दर पोस्ट ने...
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत ही सही कहा आपने..
अरे हाँ,
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई !!!!
kya kahu...
ReplyDeleteek-ek shabd hi jaise chun-chun kar likha hai...
मैं आप सभी की आभारी हूँ कि मेरी नयी पोस्ट पर आप तुरंत प्रतिक्रियाएं दे कर अपने स्नेह का इज़हार कर देते हैं ,मुझे अपनी दुआओं से नवाज़ देते हैं और आपके ब्लॉग पर मेरी अनुपस्तिथि को नज़रंदाज़ कर देते हैं . इस बात का भी ख़ुदा गवाह है कि मैं आप सबको पढ़ना चाहती हूँ मगर बमुश्किल इन दिनों नेट पर हाजिरी दे पा रही हूँ..बस कई कारण हैं पर ये मेरी बदकिस्मती है जो आपसे मुलाक़ात नहीं हो पा रही . अब देखिये ना ये पोस्ट भी एक महीने बाद आप तक पहुंचाई है ,आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं मेरी मजबूरियों [ मसरूफियत ] का ..मगर कम मिलने का मतलब ये मत समझिएगा कि मुझे आपसे मुहब्बत नहीं .काश दिन में २४ की जगह ३६ घंटे होते ,अपनों से इत्मिनान से मुलाक़ात तो होती ............! आह ! जल्द कोशिश करुँगी .
ReplyDeletetitle dekh kar chaunk gaya tha.. kyonki di to born intelligent hain. der se aane ke liye muafi chahta hoon. Award ke liye aur fir se badhiya sukhan ke liye badhaai. Mammy ji ka meri or se charan vandan.
ReplyDeleteकाश ! यह सलीका सबको आ जाये।
ReplyDeleteहमारे parents सिर्फ़ बुज़ुर्ग हुए हैं ,मरीज़ नहीं
बहुत खूब।
कॉमनवेल्थ गेम्स के अवसर पर चूहे से चैट
very nice post..
ReplyDeletemere blog par bhi kabhi aaiye
Lyrics Mantra
दिल को छू गया *****
ReplyDeleteHam yahan kai baar aaye aur fir chale gaye....Ham kaise react karen nahi jaante....but really I love the way that really you are. So nice of you.
ReplyDeleteThis is only for attendance :-)
regards
"ख्वाहिश की तितलियाँ बड़ी कमसिन है, शोख़ हें
ReplyDeleteइनके तुफ़ैल होगयी रंगीन शायरी
सरज़द हुई हैं ऐसी भी दिल पर हक़ीक़तें
रिश्तों का लिख गयी नया आईन शायरी "
Aapki in panktiyon ne mujhe bahut kuchh sochne par majbur kkar diya hai.aur main aaj khud ko dhanyavaad deta hun ki main aapko follow kar pa raha hun...
aapki ye post itni achi hai ki mujhe dobara aana pada... :)
ReplyDeleteLyrics Mantra
संस्मरण बस सीधे दिल में उतरता गया है ...
ReplyDeleteअपनी माँ के प्रति आपका प्रेम और उनकी देखभाल करते छलकती आपकी ममता अद्भुत है ...जो ममता , स्नेह , प्यार उनसे आपको मिला , आप वापस लौटा रही हैं ...
आपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी ...!
नए साल पर हार्दिक शुभकामना .. आपकी पोस्ट बेहद पसंद आई ..आज (31-12-2010) चर्चामंच पर आपकी यह पोस्ट है .. http://charchamanch.uchacharan.blogspot.com.. पुनः नववर्ष पर मेरा हार्दिक अभिनन्दन और मंगलकामनाएं |
ReplyDeleteजितना प्रभावशाली दिल छू लेने वाला संस्मरण उतनी ही कमाल की शायरी ...आपकी शायरी में ये खूबसूरती आपके खुबसूरत विचारों से ही तो आई है बहुत सच्चा और सार्थक सन्देश दिया है इस पोस्ट में आपने .
ReplyDeleteहर पल यही है दिल की दुआ आपके लिए
खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
महकी हुई उमंग भरी हो हर इक सुबह
चाहत के गुल से पथ हो सजा आपके लिए
नव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteमेरी भी एक रचना आज चर्चा मंच par है
मेरे भी ब्लॉग par आये
http://babanpandey.blogspot.com
बहुत ख़ूबसूरत और बहुत ही true....
ReplyDeleteआपको नववर्ष की हार्दिक शुभ कामना /आपका ब्लॉग मेंरे लिए नववर्ष के उपहार की तरह है, क्यों की इसी ब्लॉग के माध्यम से मैंने आपको जाना / संस्कृत के माहौल में उर्दू का शौक वर्षों पहले दब गया / आपका परिचय मेरे लिए प्रेरणा है / अगर आपको स्वीकार हो तो आपके रूप में गुरु प्रदान करने के लिए भगवान का तहेदिल से शुक्रिया / मार्ग दर्शन मिलता रहे यही अनुरोध है / --- विजय शंकर द्विवेदी
ReplyDeletekhushboo khushboo main bhi ho gai
ReplyDeleteaapki yah rachna vatvriksh ke liye chahiye rasprabha@gmail.com per parichay tasweer blog link ke saath
ग़ैरत की लाश हाथ में लेकर ग़ज़ल कहूं
ReplyDeleteतेरी न कर सकूंगी यूं तौहीन शायरी
लैला -ए- शायरी हूँ मेरा क़ैस है सुख़न
ये जुर्म है तो दे सज़ा , ना छीन शायरी
maa aur beti ka pyaar yun hi bana rahe! aapko award ke liye shubhkamanayen! bahot khoobsurat likhti hain aap.
Bahut pyari nazma ke sath maa ka pyar bhi achcha lga.
ReplyDeletesach me maa dunia ki sabase anmol dharohar hai.
ब्लॉग की दुस्निया में आपका हार्दिक स्वागत |
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लिखा है अपने |
अप्प मेरे ब्लॉग पे भी आना के कष्ट करे
http://vangaydinesh.blogspot.com/
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
ReplyDeleteलता हया जी बहुत सुन्दर गजल -काश आप हमेशा समय दे पाती आप ने जो लिखा बमुश्किल ही हाजिरी दे पा रही हूँ कोई बात नहीं धीरे धीरे ही हम भी उर्दू लब्ज सीखेंगे आप से तो और मजा आएगा
ReplyDeleteग़ैरत की लाश हाथ में लेकर ग़ज़ल कहूं
तेरी न कर सकूंगी यूं तौहीन शायरी
शुक्ल भ्रमर ५