त्यौहारों का मौसम है,आसमां में आतिशबाज़ी,बाज़ारों में रौनक़,रिश्तों में गर्माहट,घरों से उठती पकवानों की महक,मुहब्बत से गले मिलते लोग,गलियों में शोर मचाते बच्चे,घरों में ईद और गणपति की तैयारियों गलियों और सड़कों पर सजावट,जगह जगह क़ौमी एकता का पैग़ाम देते पोस्टर्स,रह-रह के उठती ढोल,नगाड़ों की आवाज़,वाह !वारी जाऊं अपने हिंदुस्तान के इस हुस्न पर.
इस बात तो ये ख़ुशी दुगनी हो गयी है ईद - गणपति एक साथ ! रमज़ान की शुरुआत में रक्षा बंधन,बीच में जन्माष्टमी और अब गणपति सब साथ-साथ तो हम अलग कहाँ हैं ?अलग क्यूँ हो जाते हैं ?
कब और कैसे हो जाते हैं ? जब हमारा मुल्क एक, हमारी खुशियाँ एक, हमारे त्यौहार और और देवगण एक साथ हो जाते हैं तो हम क्यूँ अलग हो जाते हैं ? क्या हम हमेशा एक साथ ऐसे ही हंसी-ख़ुशी नहीं रह सकते ? ज़रा सोचिये ये एक साथ आने वाले त्यौहार हमें क्या कहना चाह रहे हैं ?
बहरहाल आप सब को ईद और गणपति की बहुत बहुत शुभकामनाओं और मुबारकबाद के साथ पेश है एक नज़्म
फिर मेरे दिल में मुहब्बत ने सदायें दी हैं
ईद आई है तो ख़ुशियों की दुआएं की हैं
ज़िन्दगी आज रफ़ाक़त में रंगी हो जैसे
आज बप्पा से गले ईद मिली हो जैसे
ऐसे दिन नाम अदावत का कोई लेता है
राम भी आज मोहम्मद से गले मिलता है
मुख्तलिफ़ क़ौमों के त्यौहार जुदा हैं लेकिन
एक पैग़ाम है,अवतार जुदा हैं लेकिन
मेरी होली के तेरी ईद या दीवाली हो
पर्व कहते हैं के हर धर्म की रखवाली हो
कुंदज़ेहनो का तो बस एक ही मज़हब - नफ़रत
इन रिवायात का बस एक ही मतलब -नफ़रत
नफरतें दिल में जो फट जाती हैं इक बम बन कर
ईद आ जाती है उन ज़ख्मों का मरहम बनकर
आज इस यौमे - मुहब्बत की क़सम है हमको
अपने रोज़ों की,इबादत की क़सम है हमको
हम ना आयेंगे फरेबों में सियासतदां के
धर्म के नाम पे जो मुल्क को,दिल को बांटे
है मसर्रत का यह दिन फिर भी उदासी सी है
आज चुप -चुप है फ़लक और ज़मीं रोई है
चाँद भी रात को मायूस लगा था मुझको
ये मेरा वहम सही उसने कहा था मुझको
नफरतें चीर के जिस रोज़ उजाला होगा
कोई बेबस,न ज़मीं पे कोई भूका होगा
जब ग़रीबी नए मलबूस पहन पायेगी
झोपड़ी से भी सिवैय्यों की महक आयेगी
दीद हर चेहरे पे जिस रोज़ ख़ुशी की होगी
ईद के हाथों में यक्जेहती की ईदी होगी
ये तगय्युर मुझे जिस रोज़ नज़र आयेगा
ईद का चाँद " हया " और निखर जायेगा ।
रफ़ाकत = दोस्ती
अदावत = दुश्मनी
मुख्तलिफ़ = अलग अलग
कुंद ज़ह्नों = संकीर्ण विचार
रिवायत = रस्में
यौमे मोहब्बत = मोहब्बत का दिन
मसर्रत = खुशी
सियासत दां = नेता
फ़लक = आसमान
मलबूस = कपड़े
तगय्युर = परिवर्तन
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हमेशा की तरह खूबसूरत प्रेरणा एकता और भाईचारे की ओर... बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteआप सभी को गणेश चतुर्थी एवं ईद ही हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन अश`आर हैं........ बेहद खूबसूरत!
ReplyDeleteआप भी गणेश चतुर्थी एवं ईद की दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं!
सभी को बधाई हो।
ReplyDeleteज़िन्दगी आज रफ़ाक़त में रंगी हो जैसे
ReplyDeleteआज बप्पा से गले ईद मिली हो जैसे
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मेरी होली के तेरी ईद या दीवाली हो
पर्व कहते हैं के हर धर्म की रखवाली हो
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जब ग़रीबी नए मलबूस पहन पायेगी
झोपड़ी से भी सिवैय्यों की महक आयेगी
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सुभान अल्लाह...लता...वाह..क्या अशआर कहें हैं...क्या नज़्म कही है...लाजवाब...बेमिसाल...निहायत खूबसूरत...बस यूँ ही लिखती जाओ आगे बढती जाओ...ऊपर वाले से दुआ करता हूँ...आमीन.
नीरज
दूज का चन्दा गगन में मुस्कराया।
ReplyDeleteसाल भर में ईद का त्यौहार आया।।
कर लिए अल्लाह ने रोजे कुबूल,
अपने बन्दों को खुशी का दिन दिखाया।
साल भर में ईद का त्यौहार आया।।
अम्न की खातिर पढ़ी थीं जो नमाजे,
उन नमाजों का सिला बदले में पाया।
साल भर में ईद का त्यौहार आया।।
छा गई गुलशन में जन्नत की बहारें,
ईद ने सबको गले से है मिलाया।
साल भर में ईद का त्यौहार आया।।
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बहुत-बहुत बधाई!
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ईद और गणेशचतुर्थी की शुभकामनाएँ!
बहुत खूबसूरत नज़्म ..ईद और गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें
ReplyDeleteवाह!!
ReplyDeleteकितनी ख़ूबसूरत पोस्ट है आज. सब ईद का फ़जल है.
सभी लाइने/मिसरे शान्ति खुशहाली का पैगाम दे रही और साथ आज के हालात से गुजारिश है बेहतर कल की.
आप को भी ईद और गणपति उत्सव की बधाइयां!!
मेरी होली के तेरी ईद या दीवाली हो
ReplyDeleteपर्व कहते हैं के हर धर्म की रखवाली हो
दीद हर चेहरे पे जिस रोज़ ख़ुशी की होगी
ईद के हाथों में यक्जेहती की ईदी होगी
ये तगय्युर मुझे जिस रोज़ नज़र आयेगा
ईद का चाँद " हया " और निखर जायेगा ।
इंसानियत के लिए...
ये पैग़ाम...
मोहतरमा लता ’हया’ की...
क़लम की बहुत बड़ी सौग़ात है.
आज बाप्पा से गले ईद मिली हो जैसे ....ल करें .. तभी .....
ReplyDeleteवाह लता वाह .............
चंद लव्जों में कितना बड़ा पैग़ाम दिया दे दिया तुमने .... .
मोह्हब्बत , दोस्ती और भाईचारे का पैग़ाम
और अगर हम आज ये पैग़ाम क़ुबूमनेंगे त्यौहार सच माएने में
हम तो येही कहेंगे ' आमीन '.......
Di,
ReplyDeleteआपके ब्लॉग को आज चर्चामंच पर संकलित किया है.. एक बार देखिएगा जरूर..
http://charchamanch.blogspot.com/
bahut khoob!!!
ReplyDeleteमेरी होली के तेरी ईद या दीवाली हो
ReplyDeleteपर्व कहते हैं के हर धर्म की रखवाली हो
...........आपको भी ईद व गणपति पूजा की बधाई ।
आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteफ़ुरसत से फ़ुरसत में … अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा, “मनोज” पर, मनोज कुमार की प्रस्तुति पढिए!
उम्दा !
ReplyDeleteअमन और भाईचारे का बहुत ही खूबसूरत सन्देश प्रसारित करती एक बहुत ही सार्थक एवं बहुमूल्य रचना ! हर शेर लाजवाब है ! आपको भी ईद, तीज एवं गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबेहतरीन, एक से एक उम्दा बातें कहती गज़ल!! बहुत बधाई आपको.
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी और ईद की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
शानदार नज्म और खूबसूरत संदेश ।
ReplyDeleteखूबसूरत नज़्म ...बेहतरीन प्रस्तुति|
ReplyDeletebahoot hi khoobsurat nazm..........
ReplyDeleteवाह!!खूबसूरत नज़्म, खूबसूरत सन्देश ईद और गणपति उत्सव की बधाइयां!!
ReplyDeletekalyaankaari prerna, seekh deti ,khushiyan baantti, bahut hi sundar post,sundar rachna..
ReplyDelete" bahut hi khubasurat post ..aapko bhi subhakamnaye "
ReplyDelete----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
kitna sunder likhtin hain aap ,wah.man khush ho gaya.
ReplyDeleteमेरी होली के तेरी ईद या दीवाली हो
ReplyDeleteपर्व कहते हैं के हर धर्म की रखवाली हो
wah wah wah
wah ji wahhhhhhhhhhh
sadke javan
kya baat likhi hai aapne
daad kubool karen
kash har insan ki soch aap jaisi ho ..
yun kaho ki har soo jannat ka najara ho
लता जी,
ReplyDeleteदेर से आने की मुआफ़ी चाहती हूं लेकिन नुक़सान मेरा ही हुआ इस बेहतरीन नज़्म को पढ़ने से इतने दिन महरूम रही
हम ना आयेंगे फरेबों में सियासतदां के
धर्म के नाम पे जो मुल्क को,दिल को बांटे
बिल्कुल इसी अज़्म के साथ हमें अम्न ओ आश्ती पर अपनी गिरफ़्त मज़बूत करनी है
दीद हर चेहरे पे जिस रोज़ ख़ुशी की होगी
ईद के हाथों में यक्जेहती की ईदी होगी
बहुत ख़ूब! "यक्जहती की ईदी " क्या बात है! इस से ज़्यादा valueable तो कोई ईदी हो ही नहीं सकती
आप की फ़िक्र को मेरा सलाम
ज़िन्दगी आज रफ़ाक़त में रंगी हो जैसे
ReplyDeleteआज बप्पा से गले ईद मिली हो जैसे
बिल्कुल सही फरफाया आपने।
हिन्दोस्तां के मुहब्बत पसन्द लोगों ने कुदरत के इस करिश्मे को सर आंखों पर लिया है और बड़ी दिलजोई से कहा है..आमीन!
bahot khoob !
ReplyDeleteबहुत सुंदर, सटीक एवं समसामयिक रचना. आपकी रचनाएँ समय की नब्ज पहचानतीं हैं. आज इसी की जरूरत भी है.
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनाएं तथा बधाई.
wah. man khush ho gaya.
ReplyDeletewah wah wah wah
ReplyDeletebahut khub lata ji
main to aap ka bahut bara fan hoon
or aap ki ghazalon ko bahut pasand karta hoon
kya aap mujhe bata sakti hain ki aap ki ghazalon ki kitab (book) mujhe kaha se mil sakti hain
wase main rajasthan se hoon or mujhe ye batayen ki rajasthan me aap ki kitab(book) kaha se mil sakti hain or kis naam se milengi
aap ka bahut bahut shukariyah
aap ka fan
hasan khan