आज एक अप्रैल है ---अप्रैल फूल यानि बेवकूफ़ बनाने का दिन ...लेकिन हम तो सालों से हर दिन किसी ना किसी मुद्दे पर बुद्धू बनते रहे हैं ;जब हालात कुछ और होते हैं और हकीक़त कुछ और ,,,,,और फिर भी कहा यही जाता है कि सब कुछ ठीक है .........क्या वाक़ई ....
और सब कुछ ठीक है ?
मुल्क में दंगा हुआ है, और सब कुछ ठीक है
आदमी नेता हुआ है, और सब कुछ ठीक है ?
ये गनीमत है हवा खाते हो अब भी मुफ़्त में
प्याज़ बस महंगा हुआ है, और सब कुछ ठीक है ?
घर ग़रीबों के गिरें क्या फ़र्क़ बिल्डर को पड़े
आदमी से धन बड़ा है, और सब कुछ ठीक है ?
रोज़ इज्ज़त लुट रही है लड़कियों की रेल में
रोज़ इंसां कट रहा है, और सब कुछ ठीक है ?
मेरे चेहरे पर उदासी ?बात करते हैं जनाब ?
आंख से पानी बहा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
मेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
बेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
ReplyDeleteबेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?
Mere paas alfaaz nahi..kya kahun?
क्या कह सकता हूँ...
ReplyDeleteसब कुछ ठीक है ?
"आदमी से धन बड़ा है, और सब कुछ ठीक है ?
ReplyDelete...
आंख से पानी बहा है, और सब कुछ ठीक है ?
....
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
बेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है?"
आभार.
उफ़ क्या बात कही है आपने...एकदम अनमोल...
ReplyDeleteसोच में पडी हूँ कि किस शेर को सराहूं ,किसे छोड़ दूँ...पूरी ग़ज़ल ही नायाब है...यथार्थ को इतने धारदार ढंग से आपने अभिव्यक्ति दी है कि बस वाह hi वाह है...
आम आदमी के विचारों को आपने शब्द दे दिये.सच में... आज हर कोई हर किसी को हर समय बेवकूफ बना रहा है, बन रहा है
ReplyDeleteबेहतरीन !!
ReplyDeleteशानदार कहूं या बेहतरीन कहूं,समझ से परे है,
ReplyDeleteकुछ अक्लमंदी की बात लगती!है बाकी सब ठीक है
क्या खूब महसूस किया गया है,और फिर बयाँ किया गया है.....
कुंवर जी
सच कहा है आपने ... कुछ भी ठीक नही है ...
ReplyDeleteहक़ीकत है सब शेरो में ... यथार्थ से भरे ....
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteहया दी नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी ग़ज़ल पढ़ रहा था और हसी भी आरही थी ,ये अपनी और सभी की बवासी पर थी शायद ... क्या क्या नहीं हो रहा है , सभी को पता है सब जानते हैं , बेहद खुल के लिखा है आपने ... कमाल हो गया बहुत कम ही ऐसे तेवर पढने को मिलते हैं...
बाकि सब कुछ ठीक है...
अर्श
आपके तेवर !!!! माशाल्लाह !!!!
ReplyDeleteकुछ भी ठीक नहीं .. फिर भी सब ठीक है .. सुंदर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteलता हया साहिबा, आदाब
ReplyDeleteसंवेदना विहीन होते जा रहे समाज को केन्द्रित इस ग़ज़ल का हर शेर काबिले-तारीफ़ है
मेरे चेहरे पर उदासी ?बात करते हैं जनाब ?
आंख से पानी बहा है, और सब कुछ ठीक है ?
.......बहुत खास हुआ है ये शेर...
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
मेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
और-
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
बेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?
इतना सब कुछ है, कि दाद के लिये अल्फ़ाज़ ही नहीं हैं.
बस एक शेर हुआ है-
मेरी हालत कर रही है मेरा हाले-दिल बयां
फिर भी कोई पूछता है ’और सब कुछ ठीक है’
" dil me uthate dard ko alfaz me lapetker sacchai ko samne rakha hai aapne ..bahut hi behtarin tarike se aapne samaj ke halat ko samne rakha hai ...jahan charo aur dard hai ...baaki sab thik hai "
ReplyDelete" badhai "
---- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
ReplyDeleteबेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?
-आह! वाह!! बहुत उम्दा..हर शेर एक से बढ़कर एक..जबरदस्त!!
लता जी बहुत खूबसूरती से एक आदमी का दर्द उकेरा है. इन्सान में घर करती संवेदन हीनता की पराकाष्ट दिखाई पड़ी आपकी इस रचना में.लाज़वाब
ReplyDeleteमुखौटों में छिपे हुए कुछ चेहरों को
ReplyDeleteबेनक़ाब करता हुआ हर शेर
अपनी मिसाल आप बन पडा है
आज के हालात को बखूबी बयान किया है
आपके पाक जज़्बे और
नेक-सोच को सलाम
लता जी किसी एक शेर की तारीफ़ करना बाकि शेरों के साथ बहुत बड़ी ना इंसाफी होगी क्यूँ की हर शेर एक अलग ही तल्ख़ लेकिन सच्ची दास्ताँ बयां कर रहा है...आज के दिनों दिन बिगड़ते हालात पर तबसरा कर रहा है...तंज में लिपटी आपकी ये ग़ज़ल दिलो दिमाग को झकझोर दे रही है...दाद कबूल करें...
ReplyDeleteनीरज
घर ग़रीबों के गिरें क्या फ़र्क़ बिल्डर को पड़े
ReplyDeleteआदमी से धन बड़ा है, और सब कुछ ठीक है ?
रोज़ इज्ज़त लुट रही है लड़कियों की रेल में
रोज़ इंसां कट रहा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
मेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
बेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?
बेहद वजनदार गजल के ये अशआर दमदार हैं..यानी मेरी नज़र में
हया जी बहुत उमदा लिख रही हें
बधाई
Lataji,
ReplyDeleteAadab arz kartaa hoon.
Ghazal ke baare men kyaa kahoon? Aapane to aam aadmi ka dil hi ashaar ke roop men ghazal naam ki tashtari men rakhkar pesh kar diyaa hai.Ghazal ke aashiqon par yon hi ahsaan karte rahiye.
मुल्क में दंगा हुआ है, और सब कुछ ठीक है
ReplyDeleteआदमी नेता हुआ है, और सब कुछ ठीक है ?
बढिया है........
ये गनीमत है हवा खाते हो अब भी मुफ़्त में
ReplyDeleteप्याज़ बस महंगा हुआ है, और सब कुछ ठीक है ?
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
मेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
ye donon ashaar khas taur par pasand aaye.
aapki yah vyngatmak post dil meutar si gai.bahut hi badhiyan.
ReplyDeleteरोज़ इज्ज़त लुट रही है लड़कियों की रेल में
ReplyDeleteरोज़ इंसां कट रहा है, और सब कुछ ठीक है ?
मौत का तांडव है, चुप खड़े पाण्डव हैं
कंकालो से नाली पट रहा है, और सब कुछ ठीक है.
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
ReplyDeleteमेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
वाह जी वाह क्या मुकम्मल फ़रमाया मोहतरमा ..........रदीफ़-काफिया सब कुछ अद्भुत !.........और सब कुछ ठीक है !
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
ReplyDeleteमेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
बेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?
kya bat kahi hai ..daad hazir hai kubool karen
एक सुंदर अंदाज बया करने का |बधाई
ReplyDeleteआशा
आपकी गजलें इधर वाटिका मे भी पढी। एक प्रिय दोस्त ने भी आपकी गजलों की बहुत तारीफ की थी। इनमें विविधता खूब है और लफ्जों का चयन भी काबिले तारीफ है। मैं मूलत: कथाकार हूं लेकिन गजलों का लेखक कम पाठ्क अधिक हूं। आपकी शायरी मे कुछ तो अलग अन्दाज है। बधाई ।
ReplyDeleteबात हर गली चल रही अब इन्कलाब की
ReplyDeleteबस लहू ठंडा हुआ है और सब कुछ ठीक है.
All is well!!!
ReplyDeleteapne daur ke sath chalti hui ghazal ....... :)
ReplyDeleteAPKE SHABDO KE TEER SAEEDHE DIL PAR LAGTE HAI
ReplyDeleteANDAZ E BAYA KAFI ACHHA HAI
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
ReplyDeleteमेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
बस अना,खुद्दारियां छोड़ीं ना छोड़ा अपना घर
बेहयाई में 'हया' है, और सब कुछ ठीक है ?
poori ki poori gazal bahut achhi lagi magar ye mere pasand ke sher hain .. mubarak ho...
अच्छे शेर है ... ।
ReplyDeleteMai apki gagalo ka deewana ho gaya hu jab sai you tube per apko suna hai. akhilesh. yai bhi ek bahaterin rachna hai. badhai
ReplyDeleteNoshi Gilani - Ghazal - woh baat baat mein itna
ReplyDeleteLata Haya (Urdu Poetry)
आपकी शायरी को आपकी जुबां से सुनकर बहुत अच्छा लगा ।हर शेयर लाजवाब ..........
Wah..bahut khoob di,
ReplyDeleteaapki shayri ka koi jabab nahi...
baki sab thik hai...wonderful.
जी बाकी सब ठीक है. सिर्फ देश की जनता भूखी है
ReplyDeleteबाकी सब ठीक है....बच्चा सिर्फ मिट्टी खाता है, रोटी नहीं है
बाकी सब ठीग है...औऱ जाने क्या क्या ठीक है...
बस ज़रा तौहीन ,थोड़ी तल्खियाँ ,तकलीफ 'बस'
ReplyDeleteमेरे हाथों में लिखा है, और सब कुछ ठीक है ?
subhaan allah, kya majbooriyan hain ......
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आपने उम्दा कहा है, इसमें कोई शक़ कहाँ
ReplyDeleteहमने आकर अब पढ़ा है, और सब कुछ ठीक है
तंज़ो-तेवर, ज़िक्रो-लहजा, ख़ूब अंदाज़े-बयाँ
और क्या है? बस हया है, और सब कुछ ठीक है
आदाब!
दो हाथ दिए खुदा ने और उनमे लकीरें मगर ,
ReplyDeleteतकदीर अपने पास रखी मगर सब ठीक है ....
पहली बार आना सार्थक हो गया .....
bahut sunder likhtin hain aap.wah.
ReplyDeleteYou are a genius!
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