चलो अब वार बन जाएँ ,के अब तलवार बन जाएँ
के अब तेज़ाब की बहती हुई इक धार बन जाएँ
बहुत ठंडी हवा बनकर बहे ,अब आंधियां बनकर
बग़ावत का नया इक सिलसिला ,विस्तार बन जाएँ
गुज़िश्ता कई वर्षों के हालात को मद्दे -नज़र रखते हुए आप सबको नरम तेवर वाली दुआएं देने को दिल नहीं राज़ी हुआ, लगा के महज़ इतना कहना काफ़ी नहीं के आप सबको नव वर्ष की बधाई ,....आपका चहुंमुखी विकास हो, आप स्वस्थ और सुरक्षित रहें, आप सपरिवार पूरे साल खुशियों में संलग्न रहें, वगैरह वगैरह...नहीं- नहीं बस इतना नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ अपने वादों ,अपने इरादों ,अपनी नीयत और योजनाओं में शामिल करना "ज़रूरी है" तो क़ुबूल कीजिये नए साल में इस अज्म और हौसले के साथ मेरी ये दुआएं / सलाहें :-
ये माना कि मुक़द्दर की इजाज़त भी ज़रूरी है
मगर मंज़िल को पाना है तो मेहनत भी ज़रूरी है
हवा जब तक हवा है तब तलक ही दोस्ती रखना
बने आंधी तो फिर उससे अदावत भी ज़रूरी है
अगर हो जान को ख़तरा औ ख़ुद्दारी ख़तर में हो
पलट कर वार कर देना हिफाज़त भी ज़रूरी है
ये माना कि तअल्लुकात में कोई ग़रज़ ना हो
मगर खुदगर्ज़ रिश्तों से सियासत भी ज़रूरी है
हो बेशक़ रूबरू दुश्मन मगर इतनी सनद रखना
हो लहजा तल्ख़ प थोड़ी नफ़ासत भी ज़रूरी है
फ़क़त दौलत, मकां, रिश्ते, ज़मीं,शोहरत, ख़ुशी, दुनिया
दिये जिसने सभी उसकी इबादत भी ज़रूरी है
मैं अपनी गुफ़्तगू उर्दू बिना कर ही नहीं सकती
'हया' के वास्ते इससे सख़ावत भी ज़रूरी है
अदावत - दुश्मनी
खतर - ख़तरा
प - पर
रूबरू - सामने
तल्ख़ - कड़वा
गुफ़्तगू - बातचीत
सनद - याद
सख़ावत - दोस्ती
आप तमाम ब्लागर्स का जिन्होंने २००९ में मुझे हसीन-तरीन कमेंट्स से नवाज़ा शुक्रिया अदा करती हूँ, इस साल और भी मुहब्बतों की मुन्तज़िर हूँ और इजाज़त लेने से पूर्व ख़ास तौर पर इन अलफ़ाज़ के साथ जवाब देना चाहती हूँ
इतने प्यारे बनो हर कोई तुम्हे प्यार करे
हो ज़बां ऐसी कि हर कोई ऐतबार करे
तुमसे इक बार मुलाक़ात जो करले तो 'हया'
फिर मिले दिल यही उसका हाँ बार-बार करे
आप सबसे फिर,बार-बार मिलने की चाह में नए साल की ढेरों शुभकामनाओं के साथ
चलते चलते :-
हाज़रीन, आज रात ( दो जनवरी ) बिरला आडिटोरियम मुंबई, में मुशाइरा है .उसी की तैय्यारी करते करते इस ग़ज़ल में दो शेर और हो गये, उन पर भी नज़र डाल लीजिये,कभी कभी कलाम मुकम्मल होने के बाद भी कुछ तश्नगी बाकि रह जाती है ,ये अशआर उसी तश्नगी का नतीजा है...
फ़क़त इसके सिवा इस साल-ए-नौ मैं और क्या मांगूं
अरे अब छोड़ भी नफ़रत,मोहब्बत भी ज़रूरी है
बनो नेता, चलो दिल्ली,पकड़ कुर्सी मगर ऐ जी!
ज़रा सी इस फ़साने में शराफ़त भी ज़रूरी है
नव वर्ष की मंगल कामनाएँ!
ReplyDeleteआपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
ReplyDeleteसुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.
(अजीत जोगी की कविता के अंश)
नव-वर्ष की आपको भी समस्य शुभकामनायें, मै! खुदा करे आपकी लेखनी का जादू अपनी बुलंदी पर पहुँचे और हमें अपनी चकाचौंध से सराबोर करते रहे पूरे साल...!!!
ReplyDeleteलता हया की कलम से निकला एक तेवर वाली ग़ज़ल। बहुत ही शानदार ग़ज़ल बुनी है, मै! हमारी दाद कबूल करें और खास कर इस शेर के तेवर ने मुग्ध कर दिया:-
"हवा जब तक हवा है तब तलक ही दोस्ती रखना
बने आंधी तो फिर उससे अदावत भी ज़रूरी है "
बहुत खूब!!!!
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteआप को तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteफ़क़त दौलत,मकां,रिश्ते,ज़मीं,शोहरत,ख़ुशी,दुनिया
ReplyDeleteदिया जिसने 'कभी'उसकी इबादत भी ज़रूरी है
बहुत ही सुन्दर शब्दों से रची बेहतरीन रचना, नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
Baut sunder lata jee,
ReplyDeleteHar ser apne aap me lajbab....
Aese hi aapki kalam chalti rahe...
Naw warsh bite khusiyon me har khusi jindagi me milti rahe.....!
verey nice creation....
ReplyDeletehappy new year to u n ur family
नये साल की शुरुवात इस उम्दा रचना से हुई, बहुत आभार!!
ReplyDeleteआप एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
एक बहुत बेहतरीन रचना गंभीर भाव लिए हुए इसके आगे कुछ कह नहीं सकती क्योंकि मैं निशब्द हूँ
ReplyDeleteनववर्ष पर हार्दिक बधाई आप व आपके परिवार की सुख और समृद्धि की कामना के साथ
सादर रचना दीक्षित
आपके लिखे एक- एक शब्द ने हमको ऊर्जावान बना दिया.......किस शेर का ज़िक्र करें और कौन सा छोड़े .......चलते - चलते तो बस इतना ही कहेंगे हम .......उर्दू जुबा, अंदाज़-ए-बयां औ फन की सखावत ने हमको दीवाना बना दिया ........अगली धमाके दार रचना के इंतज़ार में -
ReplyDelete" प्रिया"
बहुत ख़ूब।
ReplyDeleteआपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
आदाब लता साहिबा
ReplyDeleteक्या खूबसूरत मतला है-
ये माना कि मुक़द्दर की इजाज़त भी ज़रूरी है
मगर मंज़िल को पाना है तो मेहनत भी ज़रूरी है
और
ज़माने के मिज़ाज को कितने बेहतरीन अंदाज़ में पेश किया है-
हवा जब तक हवा है तब तलक ही दोस्ती रखना
बने आंधी तो फिर उससे अदावत भी ज़रूरी है
उर्दू ज़बान से मुहब्बत का ये जज्बा-
मैं अपनी गुफ़्तगू उर्दू बिना कर ही नहीं सकती
'हया' के वास्ते इससे सख़ावत भी ज़रूरी है
कहां तक कहें, हर शेर लाजवाब है....
आपको नये साल की बहुत बहुत मुबारकबाद
जज्बात पर भी तशरीफ लाईयेगा
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
प्रिया जी ने जो कहा उससे आगे मेरा पास शब्द नहीं है. हर शेर नायाब. शुभान-अल्लाह.
ReplyDeleteनये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
ReplyDeleteआपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।
अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।
आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ
डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
जय-जय बुन्देलखण्ड
ReplyDeleteअगर हो जान को ख़तरा औ ख़ुद्दारी ख़तर में हो
पलट कर वार कर देना हिफाज़त भी ज़रूरी है
बहुत सुन्दर शब्द. उपरोक्त पंक्तियाँ तो गीता के निम्न वाक्य की पुनरावृत्ति जैसी ही लगती हैं:
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि
आपको और आपके पाठकों को नव वर्ष की मंगल कामनाएँ!
रचनाओं का तेज ऐसा ही बना रहे!
तुमसे इक बार मुलाक़ात जो करले तो 'हया'
ReplyDeleteफिर मिले दिल यही उसका हाँ बार-बार करे
kya baat hai..bahut khoob
तुमसे इक बार मुलाक़ात जो करले तो 'हया'
ReplyDeleteफिर मिले दिल यही उसका हाँ बार-बार करे
kya baat hai..bahut khoob
Neeraj Goswami to me
ReplyDeleteshow details Jan 2 (2 days ago)
माशा अल्लाह मोहतरमा क्या बात है...आप शेर ही बेहतर नहीं कहतीं...कमेन्ट भी बेहतर करती हैं...जर्रा नवाजी का तहे दिल से शुक्रिया कबूल करें...
नीरज
नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ...
ReplyDeleteaapne siyasatdanon ko seekh dee vah kafi aham hai kyonki rajneenik vikriti sabhi mushkilat ki jarh hai. naye saal par aapko bahut bahut shubhkamanaen. ummeed hai aapki shairy ko is saal nai bulandi milegi.
ReplyDeletesaheebaat.blogspot.com
फ़क़त दौलत, मकां, रिश्ते, ज़मीं,शोहरत, ख़ुशी, दुनिया
ReplyDeleteदिये जिसने सभी उसकी इबादत भी ज़रूरी है।
---खूबसूरत गज़ल का यह शेर वाकई बेहद उम्दा है।
तुमसे इक बार मुलाक़ात जो करले तो 'हया'
ReplyDeleteफिर मिले दिल यही उसका हाँ बार-बार करे
बेहतरीन...
आपको नया साल बहुत-बहुत मुबारक हो...
हवा जब तक हवा है तब तलक ही दोस्ती रखना
ReplyDeleteबने आंधी तो फिर उससे अदावत भी ज़रूरी है
अगर हो जान को ख़तरा औ ख़ुद्दारी ख़तर में हो
पलट कर वार कर देना हिफाज़त भी ज़रूरी है
ये माना कि तअल्लुकात में कोई ग़रज़ ना हो
मगर खुदगर्ज़ रिश्तों से सियासत भी ज़रूरी है
WAAH !!! WAAH !!! WAAH !!! AAPKI IS RACHNA NE TO DIL LE LIYA....LAJAWAAB !!! BEHTAREEN !!! EK EK SHER ANMOL AISE RATN JISKI CHAKACHOUNDH SE AANKHEN AUR DIL DONO CHUNDHIYA GAYE....
AAPKO BHI SAPARIWAAR NAV VARSH KI ANANT SHUBHKAMNAYEN....
" bahut hi badhiya ..kaunse ser ko no 1 kahu ye tay karna muskil ho gaya ...kaash ! muje bhi aapko sukriya kahne ke liye koi gazal ya ser aata ."
ReplyDelete" bahut bahut badhai .thanx ."
" aaj to aapne dil jeet liya "
" der se sahi HAPPY NEW YEAR to you & your family"
अब क्या कहें...निशब्द कर दिया.
ReplyDeleteआज के कुछ शे'र मुझे हमेशा के लिए याद हो गए....
जैसे...
ये माना कि मुक़द्दर की इजाज़त भी ज़रूरी है
मगर मंज़िल को पाना है तो मेहनत भी ज़रूरी है
हवा जब तक हवा है तब तलक ही दोस्ती रखना
बने आंधी तो फिर उससे अदावत भी ज़रूरी है
aur...
ये तो बहुत ही ख़ास है. खुश हूँ सुनकर.
फ़क़त दौलत, मकां, रिश्ते, ज़मीं,शोहरत, ख़ुशी, दुनिया
दिये जिसने सभी उसकी इबादत भी ज़रूरी है।
शुक्रिया! शुक्रिया! शुक्रिया!!
haya saheba ,adab ,
ReplyDeletekisi aik sher ki tareef karoon to shayad doosre ke saath nainsaafi ho jayegi ,maqta apki urdu se muhabbat ki ghammazi karta hai .
saale nau apke liye dher sari khushiyan laye.ameen
mera blog apke intezar men hai.
ahaaaaaa kya gazal hai
ReplyDeletepadh kar man khush ho gaya
"हवा जब तक हवा है तब तलक ही दोस्ती रखना
बने आंधी तो फिर उससे अदावत भी ज़रूरी है "
meri sarai duayen aap le lo
aur bas likhti chle jaao
nav varsh par aapko hardik shubhkamaanyen
लता जी, आदाब
ReplyDeleteदोनों नये शेर भी लाजवाब हैं
और ये 'प्यास' कभी बुझ सकी है भला?
शायरी की प्यास है मोहतरमा, ऐसा सोचना भी नहीं
वरना हम सामाईन की 'भूक' का क्या होगा
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
वाह जी वाह शब्दों को क्या ढालकर क्या खूबसूरत नजराना पेश किया है बहुत बढ़िया नव-वर्ष की ढेरो शुभकामनाये
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteइतने प्यारे बनो हर कोई तुम्हे प्यार करे
ReplyDeleteहो ज़बां ऐसी कि हर कोई ऐतबार करे
तुमसे इक बार मुलाक़ात जो करले तो 'हया'
फिर मिले दिल यही उसका हाँ बार-बार करे
बेहतरीन...
बेहतरीन ग़ज़ल ह़या जी.... कमाल के शेर निकाले हैं आपने....
ReplyDeleteऔर हां फोन न कर पाने की मुआफ़ी चाहता हूं दरअसल मौसमी ठंड व कोहरे की वज़ह से तिथि निश्चित नहीं हो पा रही है
Di, ab kitni baar ye kahoonga ki kamaal ka likha aapne... isliye yahi bolta hoon ki aapki qalam apna itihaas dohra rahi hai.. :)
ReplyDeleteHappy New Year n wish more great success ahead.
Apne kavita sangrah ka vimochan ho gaya hai, aap yahan dekh saktee hain-
http://shivnaprakashan.blogspot.com/2010/01/blog-post.html
plz apna address diziyega jisse ghar pe bol ke aapki prati send kara sakoon... main to wapas UK aa gaya.
Jai Hind
Aapka Anuj
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमैं उर्दू नहीं जनता, मगर आपके कहे को समझने में भाषा आड़े नहीं आती. ये वो दर्द है जो कही नही जाती, पर जो कह दिया तो सही नहीं जाती. आपका शुक्रिया जो अपने पन्ने का दूसरा पहलु हमें दिखाया, वरना हम जान कर अंजान बने रहते.- शुक्रिया .
ReplyDeleteJab kabhi aapko padhtee hun..alfaz kee mohtaj patee hun..khamosh ho jatee hun..
ReplyDeleteSher-o-shayari me hume bhi dilchaspi hai. aapka andaz-e-bayan hume pasand aaya. aapke fan ho gaye.
ReplyDeleteteen saptah hogayee itana lamba antral theek nahee............
ReplyDeletevyast hai mana par itana intzaar karanakya hai sahee .........?
:)
shabd naheen hain mere paas shaayad.....
ReplyDeletebahut umdaa......aapake blog par aakar achchha laga......
waah....
shukriya
Gita
ये माना कि मुक़द्दर की इजाज़त भी ज़रूरी है
ReplyDeleteमगर मंज़िल को पाना है तो मेहनत भी ज़रूरी है ....
.......बेहतरीन ग़ज़ल ह़या जी....
chota munh badi baat hai..
ReplyDeletepar phir bhi kehungi...kuch to jadoo hai ...
हवा जब तक हवा है तब तलक ही दोस्ती रखना
ReplyDeleteबने आंधी तो फिर उससे अदावत भी ज़रूरी है
Sach kaha hai apne---agar koi hamare liye khatara ban jay to usase vidroh karana hee padega.
Poonam
naya hu is shahar mein, aap-se logo ki banai pagdandiyon par chalta hu. akele mein hi gungunata hu, barishon mein bhi patange udata hu...
ReplyDeletewww.ni-shabd.blogspot.com
आपको सुना बहुत है लेकिन पड़ा आज , अचछी गजल पदाने के लिए सुक्रिया
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteapni gazlon ka apni awaz men audio bhi blog per daliye.khas ker urdu wali gazal.
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