Friday, August 7, 2009

औरत हूँ आईना नहीं


पहले तो अपने आप से नज़रें मिलाईये
फिर चाहे हम पे शौक़ से तोहमत लगाईये

मेहनत की भट्टियों में झुलसना तो छोडिये
रिश्तों की आंच में ज़रा तप कर दिखाईये

औरत हूँ आईना नहीं जो टूट जाउंगी
इन पत्थरों से और किसी को डराईये

बनना है ग़र अमीर तो बस इतना कीजिए
ज़िस्मों की क़ब्र खोद के किडनी चुराईये

अशआर तो होते ही सुनाने के लिए हैं
लेकिन 'हया, के साथ इन्हें गुनगुनाईये

43 comments:

  1. वाह ..हयाजी ..लगता है ..आपकी ज़ुबानी मेरी भी कहानी चल रही है ...! जब एक अंदरूनी, व्यक्तिगत सत्य, वैश्विक सत्य बन जाता है,तो हर राही जो उस राह से गुज़रा हो, उसतक पहुँच जाता है...दर्द का बहता एक दरिया दूसरे दरियासे मिल जाता है...

    Aapne kabhi Shama ke sansmaran padhen hain? Mai unka link de rahee hun..aapko padhtee hun,to unkee barbas yaad aa jati hai..

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

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  2. पहले तो अपने आप से नज़रें मिलाइए
    फिर चाहे हम पे शौक से तोहमत लगाइए

    app ne sahi likha haa haya ji

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  3. हम भी गुनगुना रहे है आपके साथ .........सुन्दर अभिव्यक्ति

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  4. har baar aapki lekhni majboor karti hai comment ke liye...being a women fakhr hai aap par.... these line are fabulous

    "औरत हूँ आइना नहीं जो टूट जाउंगी
    इन पत्थरों से और किसी को डराइये

    बनना है गर अमीर तो बस इतना कीजिए
    जिस्मों की कब्र खोद के किडनी चुराइए"

    http://priya-priyankasworld.blogspot.com/

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  5. bahut hi accha lekhan , gazab ki gazal .. saare shabd kuch kah rahe hai .. badhai


    regards

    vijay
    please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com

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  6. औरत हूँ आइना नहीं जो टूट जाउंगी
    इन पत्थरों से और किसी को डराइये
    वाह यह हुयी न कोई बात !

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  7. यूं ग़ज़ल तो अच्छी लगी मगर यह शेअर कुछ अच्छा नहीं लगा.
    "बनना है गर अमीर तो बस इतना कीजिए
    जिस्मों की कब्र खोद के किडनी चुराइए"

    कहाँ बात जज़्बात की और कहाँ ये शेअर ?
    मुमकिन है यह नजरिया हो मगर दरख्वास्त है कि इस बात पर गौर जरूर फरमा लें.

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  8. औरत हूँ आइना नहीं जो टूट जाउंगी
    इन पत्थरों से और किसी को डराइये
    बेहद से भी ज्यादा खूबसूरत रचना

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  9. औरत हूँ आइना नहीं जो टूट जाउंगी
    इन पत्थरों से और किसी को डराइये

    सभी अशआर एक से बढ़कर एक हैं।
    बधाई।

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  10. पहले तो अपने आप से नज़रें मिलाइए
    फिर चाहे हम पे शौक से तोहमत लगाइए

    बेहतरीन...

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  11. बहुत अच्छा लगा। बेहतरीन।

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  12. Sadion se dabi aurat ke hridaya vidaarak [bhedi ]cheek.kalam ke maadhyam se pathar loutaane ke liye
    badhaai.
    jhalli-kalam-se
    angrezi-vichar.blogspot.com
    jhalligallan

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  13. लता जी,

    बड़ी ही खूबसूरत सी गज़ल में सिर्फ एक अशआर ही कुछ तल्खी लिये हुये है जिसमें किड़नी का जिक्र है। वरन सभी अशआर औरत के औरत होने की संवेदनायें और मासूमियत समेटे हैं।

    अलबत्ता गज़ल जरूर गुनगुनाने का मन कर रहा है।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  14. बहुत ही सुंदर शब्दों से गढ़ा गया है इस गज़ल को...

    ना मैं था बेखबर तुम्हारी तंहाईयों से,
    ना तुम बताने को राज़ी थी।
    कितना जान पाता मैं तुम्हे सिर्फ पन्नों से पढ़कर
    तुम तो तंहाईयों मे ही वक्त गुज़ारना चाहती थी।

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  15. आपके सुमधुर स्वर में भी इसे सुना था और अब पढने का भी सुअवसर मिला....बड़ा ही आनंददायी लगा.....लाजवाब ग़ज़ल है....सभी शेर यथार्थपरक और सीधे मन की गहराइयों में उतरने वाले हैं....इस सुन्दर रचना के लिए बधाई आपको.

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  16. एक सशक्त रचना, बधाई!

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  17. wah ji wah haya ji,
    bahut achhi rachna hai aapki...aapka follower ban gaya hoon, so aata rahunga aap bhi daya drishti banaiyega....
    dhanyawad....

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  18. हया जी, क्या खूब लिखा है आपने. बहुत अच्छा लगा. बधाई. आपकी और मेरी लेखनी में फर्क मात्र इतना है की आप शब्दों को कविताओ में पिरोती है और मैं शब्दों से गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी मेरे ब्लॉग पर स्वागत है. www.gooftgu.blogspot.com

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  19. बनना है गर अमीर तो बस इतना कीजिए
    दर्दे दिल के मरहम की दुकान सजाइये

    आपकी रचना बहुत सुंदर है

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  20. अशआर तो होते ही सुनाने के लिए हैं
    लेकिन 'हया, के साथ इन्हें गुनगुनाईये
    सुन्दर रचना,गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  21. गणतंत्र दिवस की जगह स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकारे

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  22. भूल से स्‍वतंत्रता दिवस की जगह गणतंत्र दिवस लिख दिया था,स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें आपको
    नन्दिता जी का धन्यवाद ईमेल द्वारा मुझे मेरी गलती का एहसास कराया

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  23. "अशआर तो होते ही सुनाने के लिए हैं
    लेकिन 'हया' के साथ इन्हें गुनगुनाईये"
    वाह-वाह-वाह....लाजवाब....

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  24. आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
    रचना गौड़ ‘भारती’

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  25. अहा...आपको यहाँ देखना...ई-टिवी पर महफ़िले-मुशायरा में अक्सर आपको देखता-सुनता रहता हूँ...अभी इस ह्फ़्ते की poet of the week भी थीं आप!!!
    जितना सुंदर लिखती हैं आप, उतना ही सुंदर अंदाज़ है पढ़ने का भी।

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  26. लता हया जी नमस्कार
    आपके ब्लोग पर जाने से पता चला की आप कितनी बडी कलाकार हैं ।
    मेरे ब्लोग पर मेरी पत्रिका ज़िन्दगी लाईव देखी होगी आप उसके लिए कोई सुन्दर गज़ल भेज सकती है । साथ में फोटो भी ई मेल करें ।
    गज़ल कृतिदेव,अर्जुन,कनिका,शुशा या यूनिकोड फोन्ट मे भेज सकती हैं ज़िन्दगी लाईव का ईमेल
    zindgi.live@yahoo.co.in
    डाक द्वारा भेजने का पता भी पत्रिक मे दे रखा है

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  27. Haya ji, एक बिनती लेके आयी हूँ ..मैंने तथा नीरज कुमार जी , ने एक मिला जुला प्रश्न मंच शुरू किया है ...मक़सद है ,एक सामाजिक सरोकार ..उसका लिंक अलगसे भेज देती हूँ ..आप आयें ,पढ़ें और कुछ अपने मनकी कहें ,तो बेहद शुक्र गुज़ारी होगी ...हौसला अफ़्ज़ायी होगी ..मेरे पास आपका e-mail ID तो नही ..गर आप चाहें , तो मै आपको लिखने के आमंत्रित करूँ ...या कभी कबार टिप्पणी के ज़रिये भी मनकी दो बातें कह सकती हैं ..

    स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनायें !

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://lalitlekh.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

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  28. http://shama-shamaneeraj-eksawalblogspotcom.blogspot.com/

    snehsahit
    shama

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  29. मज़बूत इरादों और जज्बातों को समर्पित आपकी यह ग़ज़ल विशेष पसंद आई.

    हार्दिक बधाई.

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  30. पहले तो अपने आप से नज़रें मिलाईये
    फिर चाहे हम पे शौक़ से तोहमत लगाईये
    औरत हूँ आईना नहीं जो टूट जाउंगी
    इन पत्थरों से और किसी को डराईये
    बनना है ग़र अमीर तो बस इतना कीजिए
    ज़िस्मों की क़ब्र खोद के किडनी चुराईये

    लता जी /हया जी

    आपको पढना सुनना एक अच्छा तजुर्बा है

    भारत एक मातृसत्तात्मक संस्कृति है
    इसलिए आप में एक सांस्कृतिक चेतना के सम्वाहक होने का दायित्व निर्वाह करने वाली स्त्री को देखना मझे संतोष दे रहा है

    आपका आन्दोलन जारी रहे
    गजल के माध्यम से भी और मैदानी हकीक़त में भी

    बधाई मुबारकबाद इस्तेकबाल आभिनंदन

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  31. kyaa baat hai.......magar ham kuchh nahin kahenge....ham bolenge....to bologe ki boltaa hai...vo bhi ik bhoot....!!

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  32. बहुत बहुत अच्छी गजल

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  33. वाह.. क्या खूब शेर निकाले हैं आपने.. वाह....

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  34. hamesha ki tarah behtareen ghazal...

    par ye 'contemporary mozu' behterin laga:

    बनना है ग़र अमीर तो बस इतना कीजिए
    ज़िस्मों की क़ब्र खोद के किडनी चुराईये

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  35. merei is gazal ke sher banana hai gar ameeber ..... par mr. anoop said .....ye sher baaqi ashaar se mail nahin khata..... my brother i visited ur blog to reply u but failed so m here to explain u.......gazal different subjects ko lekar kahi jaati hai.nazm ek ko aur ye gazal hai,waqt ke saath subjects bhi badalte hein,kucch sher khud b khud ban jaate hein.and i believe in experiments and flexiblity in poetry too. thanx.

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  36. lata ji..
    yun hee ghumte hue aapke blog pe aana hua...but aapkee is rachna ko pad kar aisa laga ki mano aana safal hua....
    bahut achha laga padhna.

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  37. हयाजी, अनूप का कथन सही है, गज़ल में कथ्य व तथ्य वर्णन अलग-अलग होते हैं, मूल भाव-विषय वही रहता है; नज़्म में भाव,कथ्य-तथ्य ,वर्णन का विषय एक रहता है । वह शेर, शेष गज़ल से मेल नहीं खाता, पैबन्द सा लगता है।

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  38. पुनश्च.... यह गज़ल भी नहीं है, काफ़िया व रदीफ़ का ध्यान नहीं रखा गया है; इसे अलग-अलग शेर या नग्मा या कविता कहिये।

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  39. आग कहते हैं, औरत को,
    भट्टी में बच्चा पका लो,
    चाहे तो रोटियाँ पकवा लो,
    चाहे तो अपने को जला लो,

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