Tuesday, August 25, 2009

मुहब्बत हूँ




मेरे दिल पर किसी की भी हुकूमत चल नहीं सकती
मुहब्बत हूँ मेरे आँचल में नफ़रत पल नहीं सकती

करोगे इश्क़ नफ़रत से तो धोखा खाओगे इक दिन
मुहब्बत नाम की औरत कभी भी छल नहीं सकती

उन्हें हिंसा गवारा है, हमें इंसान प्यारा है
कभी इंसानियत खूनी सड़क पर चल नहीं सकती

मैं जब कुछ कर नहीं सकती तो फिर ये सोच लेती हूँ
मुक़द्दर में यही है और होनी टल नहीं सकती

न जाने कौन है जिनको बुराई रास आती है
'हया' को तो गुनाह की एक पाई फल नहीं सकती

Friday, August 7, 2009

औरत हूँ आईना नहीं


पहले तो अपने आप से नज़रें मिलाईये
फिर चाहे हम पे शौक़ से तोहमत लगाईये

मेहनत की भट्टियों में झुलसना तो छोडिये
रिश्तों की आंच में ज़रा तप कर दिखाईये

औरत हूँ आईना नहीं जो टूट जाउंगी
इन पत्थरों से और किसी को डराईये

बनना है ग़र अमीर तो बस इतना कीजिए
ज़िस्मों की क़ब्र खोद के किडनी चुराईये

अशआर तो होते ही सुनाने के लिए हैं
लेकिन 'हया, के साथ इन्हें गुनगुनाईये

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