कल से तीन दिनों तक मुंबई से बाहर हूँ. मुशायरे के सिलसिले में आजमगढ़ और पटना जाना है. सोचा तो था के आ कर कुछ नया पोस्ट करुँगी, के तभी तुलसी भाई पटेल जी का मेल आया के लता जी आपकी पोस्ट का इंतज़ार है.उन्हें जवाब देना चाहा लेकिन विफल रही, फिर सोचा की लैपटॉप बंद कर दूं लेकिन दिल नहीं माना,क्यूँ की वापस आकर भी दो दिसंबर तक शूटिंग में व्यस्त रहूंगी इसलिए मुझे लगा की तब तक बहुत देर हो जायेगी तो लीजिये पेश हैं एक छोटी सी ग़ज़ल आप सबकी मुहब्बतों के नाम, जिसका श्रेय तुलसी भाई पटेल जी को देना चाहूंगी.
(मतला हिंदी को तमाशा बनाने वालों के नाम एक जवाब के तौर पर आप तमाम हिन्दीप्रेमियों की तरफ से)
ज़िन्दगी चाहे जितनी बिखरती गयी
पर मैं 'हिंदी' की तरह संवरती गयी
हाथ में एक दर्पण अदब का भी है
देख कर जिसमें ख़ुद को निखरती गयी
उसने चाहत का इज़हार जब भी किया
मैं सियासी अदा से मुकरती गयी
ज़िक्र जब भी सियासत का करने लगूं
डायरी मेरी पल में सिहरती गयी
उसकी महकी हुई सोहबतों में 'हया '
शाख़ से फूल की तरह झरती गयी
ज़िन्दगी चाहे जितनी बिखरती गयी
ReplyDeleteपर मैं 'हिंदी' की तरह संवरती गयी
हिंदी जरूर संवरती रहेगी
ज़िन्दगी चाहे जितनी बिखरती गयी
ReplyDeleteपर मैं 'हिंदी' की तरह संवरती गयी
उसने चाहत का इज़हार जब भी किया
मैं सियासी अदा से मुकरती गयी
ज़िक्र जब भी सियासत का करने लगूं
डायरी मेरी पल में सिहरती गयी
वाह वाह हर एक अश आर महकता हुया बधाई
ज़िन्दगी चाहे जितनी बिखरती गयी
ReplyDeleteपर मैं 'हिंदी' की तरह संवरती गयी
सच्च हया जी आपकी गजलो एवम कविताओ का कोई सानी नही है। हम भी आपके फैन है और इन्तजार रहता है की आपकी गजलो का!
बेहतरीन गजल के लिए धन्यवाद्!
महावीर
bas maan mohliya apne...
ReplyDeletekoi shabd nhi mil rahe hai..bas hum mohit hai...
आपकी गज़लें हमेंशा मन को छू जाती हैं। मतला क्या खूब बना है मानो हर हिंदी प्रेमी की अपनी आवाज हो। बाकी शेर भी प्रभावी हैं। मक्ते का शेर रूहानी खुश्बू समेटे हुये है। बधाई सुंदर गज़ल के लिये।
ReplyDeleteज़िन्दगी चाहे जितनी बिखरती गयी
ReplyDeleteपर मैं 'हिंदी' की तरह संवरती गयी
pehli pankti ne hi man moh liya....
bahut bahut badhai is sunder ghazal ke liye....
ज़िक्र जब भी सियासत का करने लगूं
ReplyDeleteडायरी मेरी पल में सिहरती गयी
उसकी महकी हुई सोहबतों में 'हया '
शाख़ से फूल की तरह झरती गयी
waah behad sunder.aapki yatra safal rahe yahi dua hai.
ham to first sher par hi fida ho gaye...kya karara jawaab diya hai aapne...." Hindi hai ham vatan hai Hindostan hamara" Jai Hind, Jai hindi :-)
ReplyDeleteहाथ में एक दर्पण अदब का भी है
ReplyDeleteदेख कर जिसमें ख़ुद को निखरती गयी
कितना खूबसूरत एहसास है!
बहुत सुन्दर
ज़िक्र जब भी सियासत का करने लगूं
ReplyDeleteडायरी मेरी पल में सिहरती गयी
पूरी गजल बहुत ही नायाब है।
हर शेर दाद के काबिल है!
शाख़ से फूल की तरह झरती गयी
ReplyDeleteयहाँ कुर्बानी का भाव है -वजूद के मिट जाने का ! जैसे शमा जल कर भी अमर हो रहती है !
खूबसूरत अंदाजे बयां !
daayri meri pal mein sawarti gayi....
ReplyDeletewaah kya baat hai...haya ji unda rachna hai aapki...
mere blog pe bhi aapka swagat hai...
cheers!
surender
http://shayarichawla.blogspot.com/
Are wah! kitanee acchee soch . Acche bhav hee to itanee sunder gazal ko janm de sakate hai .Hardik Badhai .
ReplyDeleteआपके प्रयास का जवाब नहीं ! बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteबहुत खूब लता जी
ReplyDeleteज़िन्दगी चाहे जितनी बिखरती गयी
पर मैं 'हिंदी' की तरह संवरती गयी
बेशक
शान हिन्दुस्तां की है हिन्दी ज़बान
रंग तहज़ीब का दिल में भरती गयी
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
Lajwab.. bahut hi umda sher likhe..Di...
ReplyDeleteहाथ में एक दर्पण अदब का भी है
ReplyDeleteदेख कर जिसमें ख़ुद को निखरती गयी
उसकी महकी हुई सोहबतों में 'हया '
शाख़ से फूल की तरह झरती गयी
वाह वाह...बेहतरीन शेरों से सजी आपकी ये ग़ज़ल लाजवाब है.
नीरज
जिंदगी ने बिखरने की साज़िश रची
ReplyDeleteपर वो अपनी हया से सँवरती रही..
देख दर्पण में उसके हया की अदब,
जिंदगी भी अदब से निखरती रही..!
मैंने इज़हार के जब तराने लिखे,
वो तरानों के कागज कुतरती रही..
मैं तो उसकी अदाओं से बेहोश था..
फिर भी वो दिल में चुपके उतरती रही....!
उसके दीदार के आशियाने में बन ,
के अपनी हया श्वांस भरती रही..
बेअदब होके "चंपक' की ये जिंदगी,
ख्वाहिशों के समंदर में तरती रही...
मेरी ये पंक्तियाँ ,लताजी,आपको समर्पित मेरे मन की वो तृष्णा है जिसे आपकी गजल और उसकी हर पंक्ति हर वक़्त मिटाती है.आशा है आप हमारी इस तृष्णा का ख़याल रखेंगी...आपसे एक गुजारिश है के अगर कभी आपका दिल्ली का कोई कार्यक्रम हो तो उसकी पूर्व-सूचना मुझे देकर कृतार्थ करें....जी धन्यवाद...!
Aaisee anoothi rachnayon se aap apna blog nikhar detee hain!
ReplyDeleteबहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
ReplyDelete" bahut hi badhiya ...aisa laga jaise aapne kum alfaz me jindgi ko samet liya ...bahut hi badhiya ...subhan allah ."
ReplyDelete----- eksacchai { aawaz }
http://eksacchai.blogspot.com