Wednesday, July 15, 2009

मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर



हमने वीराने को गुलज़ार बना रखा है
क्या बुरा है जो हकीक़त को छुपा रखा है

दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?

वो तो खुदगर्जी है ,लालच है, हवस है जिसका
नाम इस दौर के इन्सां ने वफ़ा रखा है

मैं तो मुश्ताक़ हूँ आंधी में भी उड़ने के लिए
मैंने ये शौक़ अजब दिल को लगा रखा है

मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
ये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है

अपने हाथों की लकीरों में हिना की सूरत
सिर्फ इक नाम तुम्हारा ही सजा रखा है

मैं के औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर
बस तख्खल्लुस इसी बाईस तो 'हया' रखा है !


दौरे हाज़िर=आज का ज़माना
मुश्ताक़ =उत्सुक
तखल्लुस =उपनाम
बाईस =कारण

40 comments:

  1. वाह क्या खूब लिखा है !
    अंत में शब्दों के अर्थ देकर आपने बहुत बढिया किया है |
    धन्यवाद |

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  2. दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
    आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?

    हया जी - क्या कहूँ? मुग्ध हो गया पढ़कर। हरएक शेर लाजबाब है। बहुत कमाल की लिखतीं हैं आप। मेरी शुभकामना।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  3. मैं तो मुश्ताक़ हूँ आंधी में भी उड़ने के लिए
    मैंने ये शौक़ अजब दिल को लगा रखा है


    मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
    ये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है

    waah lajawab,har sher masha allah khubsurat khazana.

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  4. हया जी!!!!

    आपकी रचना बहुत ही अच्छे लगे है।
    सुन्दर शेर।

    आभार/शुभकामनाओ सहित
    हे प्रभु यह तेरापन्थ
    मुम्बई टाईगर

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  5. bahut bahut sundar .........yah baat to HYA bana rakha hai .....atisundar

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  6. वाह वाह ......क्या बात है !
    बहुत खूब शेर कहे हैं आपने !
    आत्म विश्वास छलकता है आपकी रचनाओं से !

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  7. मैं के औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर
    बस तख्खल्लुस इसी बाईस तो 'हया' रखा है !

    -वाह!! बहुत उम्दा गज़ल कही है.

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  8. मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
    ये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है
    bahut hee sundar....

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  9. बहुत खूबसूरत !!

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  10. ...आपको सुनना भी बहुत सुखद है.

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  11. क्या कहूँ
    हर शेर एक से बढ़कर एक
    जिन्हें बार-बार पढ़ने का दिल करता है !

    दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
    आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?


    वो तो खुदगर्जी है ,लालच है, हवस है जिसका
    नाम इस दौर के इन्सां ने वफ़ा रखा है


    छा गयीं मैडम ... आप महफिल में छा गयीं !


    आज की आवाज

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  12. आपका नाम सुनकर
    मन में लग रहा था कि कहीं सुना है !

    अभी जब आपके ब्लॉग पर
    ठीक से निगाह डाली तो वीडियो नजर आया !
    बस तुंरत याद आ गया !
    आप भी ब्लॉग की दुनिया में हैं
    बड़ी ख़ुशी हुयी !

    अरे हम ठहरे मुशायरे के शौकीन !
    हम जैसों के ही दम से मुशायरे कामयाब होते हैं

    हार्दिक शुभकामनायें

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  13. हिन्दी ब्लाग्स की दुनिया में आपका स्वागत है. पड कर अच्छा लगा, इस प्रयास के लिये आप को बधाई, बस इसी तरह लिखते रहिये, और हम पड्ते रहेंगे.

    चारुल शुक्ल
    मेरे लेखो के लिये आइये
    http://dilli6in.blogspot.com

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  14. वाह क्या खूब लिखा है !

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  15. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  16. मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
    ये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है
    bahut sunder andaz. khoobsurat rachana

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  17. कि‍तने सलीके से सारी बात कह दी आपने। बेहतरीन गजलों में शुमार।

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  18. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।आपके भाव दिल में उतर गए। बहुत अच्छा लिखा है बधाई।

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  19. सीखना है
    सहन करना तो
    सीखो
    धरती से
    या फ़िर औरत से
    जरूरी नहीं
    कि वो हो
    तुम्हारी मां,बहन,बेटी ही
    हो सकती है वह
    तुम्हारी पत्नी भी

    औरत को समझने के लिये; मेरे कविता संग्रह की एक कविता
    मेरे ब्लोग्स http://gazalkbahane.blogspot.com/
    and
    http://katha-kavita.blogspot.com

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  20. बहुत ही सुंदर रचना बेहतरीन प्रस्तुति आभार !

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  21. हया जी............
    वाकई में कबीले तारीफ नज्म रची है आपने.............
    दिल से बस वाह-वाह के कुछ निकालता ही नही है.......

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  22. हया जी आदाब
    ब्लॉग जगत में आपका इस्तेकबाल है खैरमकदम है स्वागत है ..बहुत दिनों से आपकी नज्म और गीत यू ट्यूब से डाऊनलोड करके सुनता आ रहा हूँ. मेरे मोबाईल में आपका कलाम हमेशा मौजूद रहता है...
    यहाँ पर राम बसता है, यहाँ रहमान बसता है...
    यहाँ हर जात का, हर कौम का, इन्सान बसता है...
    जो हिन्दू हो तो क्या, तुम्ही फकत हिन्दुस्तानी हो...
    यंहा हर एक मुस्लिम दिल में, हिंदुस्तान बसता है....
    ये शब्द हमेशा दिल में गूंजते रहते है....
    आपको कभी वक्त मिले तो इस ब्लॉग पर आइयेगा....
    http://balsajag.blogspot.com

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  23. haya ji ,

    namaskar..

    aaj aapki gazale padhkar man bahut khush ho gaya ,,kuch sher aise hai jinhone bahut gahre jaakr apni upastithi darz karwaayi .. main aapko badhai deta hoon ..

    dhanywad.

    poemsofvijay.blogspot.com par aayiye aur meri kavitayen padhiyenga..

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  24. क्या खज़ाना मिल गया यहाँ आके ..! ऐसे ज़ेवरात ,जिन्हें तिजोरी की ज़रूरत नही ...! लुटाये चलो , इनमे इजाफा होता रहेगा.. ...इसके अलावा क्या कहूँ ?
    रश्क हुआ आपकी रचनाएँ पढ़के...लगा,काश! मैभी ऐसा लिख पाती...!

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://lalitlekh.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

    http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://paridhaan-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://dharohar-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    Apne 'kavita' blog kee to URL yahan nahee likhne waalee...

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  25. dil jeet liya apne. khud ko achcha express kiya hai. gazal ke madhyam se. bhai waah... waah...

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  26. क्या कहूँ.......हरेक शेर ने अपने में ऐसे रमा लिया की उनके सौन्दर्य और रस से निकलकर आगे बढ़ना मुश्किल हो गया था.....कमाल का लिखती हैं आप.........बहुत बहुत लाजवाब !!!

    लता जी....आज जहाँ नग्नता को प्रगतिशीलता का पर्याय प्रगतिवादी स्त्रियाँ मानने लगीं हैं...आपकी सोच ने कितना सुख दिया बता नहीं सकती.....

    माँ सरस्वती आप पर सदा सहाय रहें....शुभकामनायें...

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  27. पिंकी इस देश की बेटी हैं जिसे कुछ दरिंदो ने इस हालात में पहुचा दिया हैं जहां से बाहर निकलने में आप सबों के प्यार और स्नेह की जरुरत हैं।

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  28. Lata ji...... aapki gazle nazme sabhi bahut hi achchi hai...saath hi aapka presentation bhi laajawaab hain

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  29. हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

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  30. हमने वीराने को गुलज़ार बना रखा है
    क्या बुरा है जो हकीक़त को छुपा रखा है

    दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
    आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?....
    उम्दा और सुंदर.

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  31. waaqai mein bahut achcha likha hai aapne......

    sharm hi aurat ka zevar hai.....

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  32. मेरी बेटी तू सितारों सी ही रौशन होगी
    ये मेरी माँ ने वसीयत में लिखा रखा है


    मैं के औरत हूँ मेरी शर्म है मेरा ज़ेवर
    बस तख्खल्लुस इसी बाईस तो 'हया' रखा है !

    ye do sher alag se daad maang rahe the...
    khas taur pe upar wale ki 'Innocentness' dekhte hi banti hai...

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  33. हमने वीराने को गुलज़ार बना रखा है
    क्या बुरा है जो हकीक़त को छुपा रखा है....

    ....Aur kya kya chupa rakha hai is blog main haya ji ?

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  34. गज़ल में इक गुलज़ार समां बना रखा है, हया जी।

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  35. बहुत बेहतरीन ...हमारे ब्लोग पर आपका स्वागत है

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