Friday, September 25, 2009

दुआ चाहिए

मुझे पढ़ने वाले ,समझने वाले ,हौसला अफजाई करने वाले तमाम ब्लॉगर्स का मैं तहे-दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ जो अपने बेशकीमती कमैंट्स से मुझे नवाज़ते हैं ;कुछ तो रूह में उतर जाते हैं हालांकि सबका ज़ाती तौर पर जवाब नहीं दे पाती इसके लिए शर्मिन्दा भी हूँ पर आप सबके नाम मुझे बखूबी याद हो गए हैं. मैंने वादा किया था के कई सम्मेलनों की दास्ताँ आप तक पहुंचाऊंगी लेकिन अभी उसमे वक़्त है,,ये सिलसिला इस पूरे महीने चलने वाला है लेकिन तब तक आप से गुफ्तगू न हो ये नहीं चल सकता ..तो लीजिये पेशे -खिदमत है एक छोटी सी ग़ज़ल आप सबकी मुहब्बतों के नाम



ज़िन्दगी में भला और क्या चाहिए
उसकी रहमत तुम्हारी दुआ चाहिए

चाहती हूँ दिलूँ में महकती रहूँ
मैं हूँ खुशबू वफ़ा की हवा चाहिए

मैं ग़ज़ल तो कहूँगी मगर शर्त है
सुनने वाला कोई आपसा चाहिए

हादसों से तो मिलना बहुत हो चुका
आपसे भी तो मिलना ज़रा चाहिए

आपने जब दुआ दी तो ऐसा लगा
आपको भी अदब में "हया "चाहिए .

शुक्रिया

मुझे तुलसी भाई पटेल जी के बच्चों की तरफ से एक बहुत प्यारा मेल मिला था ,,इस ग़ज़ल का तीसरा शेर ख़ास तौर से उन बच्चों के नाम ;जो के छोटे हैं मगर शेर खूब समझते हैं इस दुआ के साथ

सभी को समझे तू अपना कोई बुरा ना लगे
ख़ुदा करे तुझे इस दौर की हवा ना लगे


Monday, September 14, 2009

हिंदी दिवस


हिंदी दिवस पर समस्त हिंदी प्रेमियों और हिन्दुस्तानियों को बधाई.सोचा तो था के सुबह सुबह मुबारकबाद पेश करुँगी लेकिन कवि सम्मेलनों का सिलसिला चालू है,पूरा हिंदुस्तान हिन्दीमय होगया है,हिंदी को याद करने के नए नए तरीके ढूंढे जा रहे है,हर ऑफिस हर विभाग में हिंदी से सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है,कहीं खुद को राष्ट्रभाषा प्रेमी साबित करने के लिए तो कहीं बजट में सरकार को हिंदी के ऊपर हुआ ख़र्चा दिखाने के लिए,कवियों की चांदी हो रही है ;मै भी कुछ कवि सम्मलेन पढ़ चुकी हु कुछ पढ़ने वाली हूँ , इस पूरे महीने हिंदी पखवाड़ा मनने तक, सब कार्यक्रमों की दास्ताँ बाद में बताऊंगी अभी हिंदी भाषा की विभिन्न स्थितियों पर एक एक करके नज़र डालिए :

१) हिंदी की कसक :-

सोचा न था मगर मुझे आभास हो गया
बेघर हूँ अपने घर में ये विश्वास होगया
सीमित है पुस्तकों के ही पन्नो तलक ये अब
हिंदी में बात करना तो इतिहास होगया

२)हिंदी ज़रूरी है क्यूंकि :-

अगर हिंदी समझते हो ग़ज़ल फिर रास आयेगी
सुहानी कल्पना चलकर तुम्हारे पास आयेगी
सितारे इश्क़ फरमाएंगे,चंदा घर बुलाएगा
कला,तहज़ीब भी मिलने तुझे बिंदास आयेगी.

३)क्यूकि भाषा एक तहजीब है और नेमत भी:-

सभी के पास उसकी रहमतों का धन नहीं होता
जो होता भी है तो फूलों के जैसा मन नहीं होता
के जो लोगो के ग़म, तकलीफ और जज़्बात को समझे
वही होता है कवि, हर बाग़ वृंदावन नहीं होता

४)क्यों मैंने सच कहा न? :-

ह्रदय के ग्रन्थ से निकले हितैषी है वही रचना
किसी हिंदी विरोधी के घृणित सन्देश से बचना
हो भाषाविद 'हया' लेकिन सरलता तो हो भाषा में
कभी तो राष्ट्र भाषा बोलिए,मैंने कहा सच न?

५)तो बोलिए हिंदी है हम...........वतन है हिनुस्तान हमारा:-

यहाँ पर राम बसता है,यहाँ रहमान बसता है
यहाँ हर ज़ात का,हर कौम का इन्सान बसता है
जो हिंदी बोलते है बस वही हिन्दू नहीं होते
वही हिन्दू हैं जिनके दिल में हिंदुस्तान बसता है


" जय हिंद"

Monday, September 7, 2009

जुर्म अब ईमान.....



आदमी शैतान होता जा रहा है
क्या उसे भगवान होता जा रहा है

ये निठारी काण्ड तौबा देख कर हा!
ख़ुद ख़ुदा हैरान होता जा रहा है

हैं मेरे हालत तो ईराक़ जैसे
हौसला ईरान होता जा रहा है

धर्म तो नेताओं के हत्थे चढ़ा है
जुर्म अब ईमान होता जा रहा है

मैच फिक्सर या पुलिस की जेब में अब
नोट ही मेहमान होता जा रहा है

देन है उसकी हुनर के शोहरतें फिर
क्यों उसे अभिमान होता जा रहा है

वो जो मुझ पर तंज़ करता है 'हया' जी
ख़ुद ही बेईमान होता जा रहा है

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