tag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post4616072524937752059..comments2023-09-12T15:37:33.113+05:30Comments on ' हया ': मेरे पड़ौसी - पेड़, परिंदे और पुलिसलता 'हया'http://www.blogger.com/profile/10512517381147885252noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-76148010798134797142010-08-07T20:55:41.719+05:302010-08-07T20:55:41.719+05:30shukriya lata .....shukriya lata .....archanahttps://www.blogger.com/profile/05340409579002646118noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-3893595676407242872010-07-21T00:03:50.042+05:302010-07-21T00:03:50.042+05:30बहुत सुन्दर पंक्तिया ....बहुत सुन्दर पंक्तिया ....Darshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-13238335454450376992010-07-15T14:56:27.444+05:302010-07-15T14:56:27.444+05:30जिधर देखो इमारत का समंदर
कि बादल बौख़लाये जा रहे ह...जिधर देखो इमारत का समंदर<br />कि बादल बौख़लाये जा रहे हैं <br /><br /><br />बहुत सुन्दर पंक्तिया ....rajesh singh kshatrihttps://www.blogger.com/profile/05830899015565164627noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-30352869791647154892010-07-12T21:09:50.887+05:302010-07-12T21:09:50.887+05:30प्रकृति,पेड़-पौधों और पंछियों को तबाह करने की साज़िश...प्रकृति,पेड़-पौधों और पंछियों को तबाह करने की साज़िश तो आज हर तरफ़ दिखाई देती हैं। एक संवेदनशील फ़नकार ही इतनी घनीभूत संवेदना के साथ अपने आलेख और अपनी ग़जल में ऐसी बात लिख सकता है जो पढ़ने वाले के भीतर भी हलचल मचा दे। सचमुच, आपने जो दृश्य खींचा है, वह भीतर तक मुझे बेचैन कर गया है। आपके भीतर के इस सच्चे,संवेदनशील कलाकार को मैं नमन करता हूँ।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-21080921238480733202010-07-12T15:20:47.962+05:302010-07-12T15:20:47.962+05:30आपका नाम "अदा" हया होना चाहिए, अदाकारी औ...आपका नाम "अदा" हया होना चाहिए, अदाकारी और शायरी का एक अनूठा संगम।<br />बहुत अच्छा कहती हैं आप !सतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-91983781539964516712010-07-09T09:05:19.930+05:302010-07-09T09:05:19.930+05:30aapki kavitaa ne man moh liyaa..........sach vakta...aapki kavitaa ne man moh liyaa..........sach vakta rahate sudharnaa chahiyeAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-28710712901468892402010-07-08T11:44:59.575+05:302010-07-08T11:44:59.575+05:30बहुत ही सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया है आपने, ह...बहुत ही सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया है आपने, हर शब्द एक गहरी संवेदना के साथ अपनी बात कहता हुआ, बधाई ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-5250417903979367712010-07-07T14:19:36.891+05:302010-07-07T14:19:36.891+05:30hello aunty...
"या हिन्दू के हाथ से बोये पौध...hello aunty...<br /> "या हिन्दू के हाथ से बोये पौधे ने किसी मुस्लिम के हाथ से बोये पेड़ को नफ़रत की बलि चढ़ा दिया है?"<br />hamesha aisa hi kyon kaha jata hai?... ... iske bina bhi aapka lekh bahut achchha lagta... aur agar baat kahni hi hai to ek hi samay par nyay ke saath har paksh ki baat kahi jaye...mai aapki kalam ki prashansak hoon.. par aapki shaayari mai bhi mujhe ye rang achchha nahi lagta... aap umra mai mujhse badi hain isliye gustaakhi ke liye maafi chahungi... aap chahen to is comment ko approve na kariyega... par is baat par gaur zaroor kariyega...<br /><br /><br />regards---<br />ANSHUJA CHARVI PANDEY.anshujahttps://www.blogger.com/profile/09648919578701644836noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-23084684833789134022010-07-06T08:04:19.696+05:302010-07-06T08:04:19.696+05:30जिधर देखो इमारत का समंदर
कि बादल बौख़लाये जा रहे ह...जिधर देखो इमारत का समंदर<br />कि बादल बौख़लाये जा रहे हैं <br />हवा की बद्दुआ, मौसम के नाले<br />ज़मी को तमतमाए जा रहे हैं<br /><br />इन दो शेरों की बदौलत ग़ज़ल की अज़्मत-ओ-वक़ार में <br />इज़ाफ़ा हुआ है ,,,,, यक़ीनन <br />हर शेर अपने आप में मुकम्मल है...... मुबारकबादdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-35860352311286190252010-07-04T09:02:18.847+05:302010-07-04T09:02:18.847+05:30मार्मिक चित्रण ।मार्मिक चित्रण ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-88327919102632954182010-07-04T07:32:14.526+05:302010-07-04T07:32:14.526+05:30ये हरी बस्तियां महफूज बनाए रखना..
इस अमानत पे कड़े...ये हरी बस्तियां महफूज बनाए रखना..<br />इस अमानत पे कड़े पहरे बिठाए रखना..<br /><br />अगले मौसम में परींदे जरूर लौटेंगे..<br />सब्ज़ पेड़ों को किसी तौर बचाए रखना....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-36320315435942658982010-07-03T23:24:24.336+05:302010-07-03T23:24:24.336+05:30किसी का बिखरा है आशिया, कही कोई मकां बन रहा है
...किसी का बिखरा है आशिया, कही कोई मकां बन रहा है<br /> अजीब खेल तो है मगर, सरेराह चल रहा है ..<br /><br />परिंदों को प्यार कोई क्यों न करे ? लेकिन आपकी संवेदनशीलता ने झकझोर दिया ....हमारी इतनी सी इल्तिजा है कि हम लोग सरकारी कामो में तो दखल नहीं दे सकते ना ही उनके लिए नए घर तलाश सकते हैं ......ये हुनर तो उन्हें खूब आता है......लेकिन कम से कम उनकी प्यास तो मिटा सकते हैं .....प्लीज़ चिड़ियों को प्यासा ना रखे......किसी खुली ठंडी जगह में उनके लिए किसी बर्तन में पानी अवश्य रखे.....लता जी के ब्लॉग पर आने वाले हर ब्लॉगर से मेरी विनती है <br /><br />सप्रेम <br />प्रियाप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-56932322685090486282010-07-02T01:00:36.410+05:302010-07-02T01:00:36.410+05:30जिधर देखो इमारत का समंदर
कि बादल बौख़लाये जा रहे ह...जिधर देखो इमारत का समंदर<br />कि बादल बौख़लाये जा रहे हैं ....<br /><br /><br />बहुत खूब!<br /><br />ताज़ा माहौल पर ...व्यंग्य करती गज़ल ....संवेदनशील भी है ....<br /><br /><br /><br />शुभकामनाएं..ज्योत्स्ना पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14491409510866077940noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-36853910010109541012010-07-01T21:22:21.540+05:302010-07-01T21:22:21.540+05:30खोने का गम....बिछड़ने की तल्खी...शब्दों की जादूगरी...खोने का गम....बिछड़ने की तल्खी...शब्दों की जादूगरी....दिल की बात...सहज अंदाज में....वाह क्या बात है....शरदिंदु शेखरhttps://www.blogger.com/profile/14129161391467018468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-15302899836357556602010-07-01T19:39:44.649+05:302010-07-01T19:39:44.649+05:30samvedansheel lekhan dil ko choo gaya.........samvedansheel lekhan dil ko choo gaya.........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-61427941874284318022010-07-01T13:55:13.051+05:302010-07-01T13:55:13.051+05:30बहुत सुंदर और संवेदनशील.बहुत सुंदर और संवेदनशील.Dr. kavita 'kiran' (poetess)https://www.blogger.com/profile/10137044674020780363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-66253433750510936092010-06-30T22:58:32.580+05:302010-06-30T22:58:32.580+05:30बढ़िया पोस्ट और सुन्दर रचना!
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अब तक तो ई-टीवी(उर...बढ़िया पोस्ट और सुन्दर रचना!<br />--<br />अब तक तो ई-टीवी(उर्दू) के मुशायरों में ही सुनते थे आपको !<br />--<br />लेकिन अब तो आपका ब्लॉग खोल कर जब मन करता है <br />आपको सुन लेते हैं!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-59404214396439897732010-06-30T22:00:44.661+05:302010-06-30T22:00:44.661+05:30jitni tareef karun kam hai.bahot khoobsurat rachna...jitni tareef karun kam hai.bahot khoobsurat rachna.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-15217659672426480292010-06-30T18:11:50.518+05:302010-06-30T18:11:50.518+05:30बेहद संवेदनशील आलेख और रचना ... पढ़ कर ऐसा लगा बुलड...बेहद संवेदनशील आलेख और रचना ... पढ़ कर ऐसा लगा बुलडोज़र दिलों से गुजर गया हो... आधुनिकता और विनाश का का करीबी रिश्ता उजागर करता आपकी पोस्ट और रचना अपने लक्ष्य पर तीर सी लगती हैंPadm Singhhttps://www.blogger.com/profile/17831931258091822423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-71966079529909475612010-06-30T16:59:57.534+05:302010-06-30T16:59:57.534+05:30क्या कहूँ...मन बोझिल हो गया...
कभी कभी लगता है चीख...क्या कहूँ...मन बोझिल हो गया...<br />कभी कभी लगता है चीख कर पूछूं ...यह दुनिया क्या ईश्वर ने सिर्फ मनुष्यों के लिए बनाई है....पशु पक्षी ,पेड़ पौधे,आसमान जमीन सब इंसान के मुट्ठी में जिसे चाहे जगह दे जिसे चाहे न दे..जिसे चाहे जीवित रहने दे ,जिसे चाहे मार दे...क्यों....<br />पर किस्से यह पूछूं और कौन जवाब देगा ?????<br /><br />इंसान अपने को सर्वेसर्वा मान कर दरिन्दगी पर उतरा हुआ है,पर जब प्रकृति अपना बदला लेने लगेगी तो इंसान क्या करेगा ???????रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-30534225021587525572010-06-30T14:45:27.480+05:302010-06-30T14:45:27.480+05:30एक एक बात लाजवाब!!!!! संवदनाओं से भरपूर, अच्छी लगी...एक एक बात लाजवाब!!!!! संवदनाओं से भरपूर, अच्छी लगी ये पोस्ट और उसकी भूमिका.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-5000722151777186542010-06-30T11:48:01.632+05:302010-06-30T11:48:01.632+05:30आपकी यह पोस्ट दिल को छू गई....आपकी यह पोस्ट दिल को छू गई....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-86322763500518520742010-06-30T11:11:27.089+05:302010-06-30T11:11:27.089+05:30लताजी, बिगड़ते पर्यावरण के लिए आपकी चिंता जायज़ है...लताजी, बिगड़ते पर्यावरण के लिए आपकी चिंता जायज़ है. हम सब को इस और विशेष ध्यान देने की जरूरत है, आने वाली नस्लें वर्ना हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी...बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने एक एक शेर सोचने को मजबूर करता है और उन्हें पढ़ कर आपके लिए दिल से दुआ निकलती है...वाह...<br />मेरा एक शेर भी चलते चलते पढ़ लें : <br />नहीं जब छांव मिलती है कहीं भी राह में मुझको<br />सफर में अहमियत मैं तब शजर की जान जाता हूं<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-83901063494307576562010-06-30T10:35:41.508+05:302010-06-30T10:35:41.508+05:30हम कुछ नहीं कह सकते आज, ये कौन से युग में जी रहे ह...हम कुछ नहीं कह सकते आज, ये कौन से युग में जी रहे हैं हम.<br />"ना हमारी नीयत में हरियाली, न जज़्बातों की मिटटी में नमी,............"<br /><br />आपने आधुनिकता और पर्यावरण के बीच बढती खाई को एक बेमिसाल ग़ज़ल से चित्रित किया है. आज मानवता और मोहब्बत के परिंदे को चाहने वाला समाज प्रगति की अंधी दौर में खोचुका है.<br /><br />बहुत बहुत शुक्रिया अपने अहसासों को समस्त जनहित में प्रस्तुत करने के लिए.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5040614699257331156.post-50875240540890127882010-06-30T10:15:49.739+05:302010-06-30T10:15:49.739+05:30संवेदनशील रचना.....गज़ल के साथ भूमिका भी मन को आद्...संवेदनशील रचना.....गज़ल के साथ भूमिका भी मन को आद्र कर गयी....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com